यह ख़बर 28 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'दिल तो बच्चा है जी': कॉमेडी कम रोमांस

खास बातें

  • 'दिल तो बच्चा है जी' में अजय देवगन और ओमी वैद्य के परफॉरमेंस ठीक हैं पर इमरान हाशमी प्ले ब्वॉय इमेज में बहुत टाइप्ट लगने लगे हैं।
Mumbai:

यह फिल्म तीन लड़कों पर है। अजय देवगन उर्फ नरेन जो तलाक की कगार पर खड़े हैं। अकेले हैं इसीलिए घर में दो पेईंग गेस्ट रख लेते हैं। ये हैं ओमी वैद्य यानी मिलिन्द केलकर और इमरान हाशमी उर्फ अभय। मधुर भंडारकर की इस फिल्म में करेक्टर्स का कंट्रास्ट देखिए जिस मिलिन्द के लिए प्यार पूजा के समान है उसे घोर प्रेक्टिकल, करियर ओरिएन्टेड और स्वार्थी लड़की मिल जाती है। जिस अभय के लिए प्यार सिर्फ अय्याशी है उसे सच्चा प्यार हो जाता है वो भी एक ऐसी लड़की से जिसके लिए सच्चे प्यार की वेल्यू नहीं और तलाक ले रहा शर्मीला संकोची नरेन न न करते करते अपने से 17 साल छोटी इन्टर्न से प्यार करने लगता है। अफसोस कि सब प्यार में लुटपिट जाते हैं इसीलिए सिर्फ क्लाइमैक्स दिल को छूता है खासकर वह सीन जहां सेंसिटिव सॉफ्ट हार्टेड ओमी वैद्य प्रेमिका से धोखा खाकर फूट फूटकर रो देते हैं। आपको मधुर भंडारकर सिनेमा की छाप मिल जाती है। 'दिल तो बच्चा है जी' कॉमेडी बताकर प्रमोट की गई लेकिन कॉमेडी एलिमेंट उम्मीद से काफी कम हैं। काश इसे सिर्फ लाइट हार्टेड रोमांटिक फिल्म बताया जाता। फिल्म कई जगह एकदम फ्लैट पड़ जाती है। कब्रिस्तान में इमरान की आशिकमिजाजी बहुत अटपटी लगती है न ही ओमी वैद्य की शायरी में दम है। कुछ ही सीन्स खुलकर हंसाते हैं जैसे इमरान अपने कुत्ते का नाम कसाब बताते हैं क्योंकि उन्होंने उसे मुंबई के सीएसटी स्टेशन से पकड़ा है और वो एक टेरर है। अजय देवगन और ओमी वैद्य के परफॉरमेंस ठीक हैं पर इमरान हाशमी प्ले ब्वॉय इमेज में बहुत टाइप्ट लगने लगे हैं। शेज़ान पद्मसी के चेहरे में फ्रेशनेस और एक्टिंग में रिपीटेशन है और श्रुति हासन से बेहतर उनके डायलॉग्स हैं। म्यूज़िक ठीक-ठाक है। फिल्म की थीम शहरी युवाओं के मद्देनज़र है लेकिन भंडाकर दिमाग में सोची हुई कॉमेडी को उतने कन्विक्शन से परदे पर नहीं उतार पाए जैसा वे इश्यू बेस्ड फिल्म में करते रहे हैं। एवरेज फिल्म 'दिल तो बच्चा है जी' के लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार।


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