इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इन दिनों फिल्में एक्सपेरिमेंटल होती जा रही हैं। जहां एक तरफ बड़े बजट की बड़ी मसाला फिल्में दर्शकों का मनोरंजन कर रही हैं, वहीं एक्सपेरिमेंटल फिल्में भी कोई न कोई संदेश लेकर दर्शकों के बीच पहुंच रही हैं और समाज का आइना बनकर उनका चेहरा दिखा रही हैं।
इन फिल्मो कीं कहानी भले ही काल्पनिक होती है, मगर ज्यादातर किस्से रियल लाइफ से उठाए जाते हैं। अब ताजा उदाहरण ले लीजिए। निर्माता धनराज जेठानी, अनिल जेठानी और चंद्रेश जेठानी की फिल्म 'युवा' में नौजवान अपने लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ते नजर आएंगे।
इस फिल्म की कहानी जवानी में कदम रखते 15 से 17 साल के छात्रों की है, जो पुलिस सिस्टम से भिड़ जाते हैं। फिल्म की कहानी असली घटनाओं से प्रेरित है। इस फिल्म को डायरेक्ट किया है जसबीर बिजेंद्र भाटी ने। फिल्म में जिम्मी शेरगिल और अर्चना पूरन सिंह के साथ ओम पुरी और संजय मिश्रा जैसे कलाकारों ने अहम भूमिकाएं निभाई हैं।
धनराज जेठानी, अनिल जेठानी और चंद्रेश जेठानी इससे पहले फिल्म 'अंकुर मर्डर केस' बना चुके हैं, जिसकी काफी सराहना हुई थी। फिल्म के निर्माता का कहना है कि 'अंकुर मर्डर केस' से हमें शाबाशी मिली और हिम्मत मिली। उन्होंने कहा, हमने फिल्म 'बिन बुलाए बाराती' नाम की मसाला फिल्म भी बनाई है। मगर हम 'युवा' जैसी फिल्म से मनोरंजन के साथ ही कुछ संदेश भी देते हैं, जो अपने आप में सुखद होता है।
वाकई इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर कोई फिल्म मनोरंजन के साथ कुछ सीख भी दे तो क्या बुरा है... और लगता है कि बॉलीवुड की भी इसमें रुचि बढ़ने लगी है। तभी तो कभी 'तारे जमीन पर' बनाकर शिक्षा प्रणाली पर बहस छेड़ी जाती है, तो कभी 'रंग दे बसंती' जैसी फिल्म से जवानों को जागृत किया जाता है। कभी 'नो वन किल्ड जेसिका' बनाकर न्याय प्रणाली पर बहस छेड़ी जाती है, तो कभी 'पान सिंह तोमर' जैसे एथलीट के साथ हुए अन्याय को दिखाया जाता है।
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