Quick Take
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कुणाल, अमृता और मनीष ने अच्छी एक्टिंग की है, डायलॉग्स अच्छे हैं, क्लाइमेक्स बढ़िया है, और म्यूज़िक भी बेहतर है...
आइए, पहले चर्चा करते हैं, फिल्म की खामियों पर... सब कुछ बहुत आसानी से होता दिखाई देता है। ऐसा कहीं नहीं दिखता कि कुणाल ने कौन-सा एचीवमेंट हासिल किया, जो साउथ अफ्रीका पहुंचते ही कंपनी उसे आलीशान बंगला देती है। उसमें ऐसा क्या खास है, जो से तेजी से प्रमोशन मिलते जाते हैं। बॉस से लेकर विदेशी कन्याएं तक, सब उस पर लट्टू क्यों हैं। कंपनी का टॉप मैनेजर जिस हीरे को ढाई करोड़ में नहीं बेच पाता, 10 मिनट बाद वही हीरा कुणाल तीन करोड़ में ऐसे बेचता है, जैसे दो रुपये की चॉकलेट तीन रुपये में बेच दी हो। नया-नया कुणाल हीरे पहचानने में इतना एक्सपर्ट कैसे है कि उसे बड़ी-बड़ी डील के लिए भेज दिया जाता है। दरअसल 'ब्लड मनी' गहराई से डायमंड ट्रेड को छूती ही नहीं।
अब फिल्म की अच्छाइयां... कुणाल खेमू, अमृता पुरी और खासकर मनीष चौधरी ने बहुत अच्छी एक्टिंग की है, डायलॉग्स भी अच्छे हैं - जैसे मकड़ी तारीफ के लिए नहीं, शिकार के लिए जाल बुनती है... क्लाइमेक्स अच्छा है, जहां फिल्म यू-टर्न ले लेती है। म्यूज़िक बेहतर है, हालांकि ज़्यादातर गानों में भट्ट कैम्प का ट्रेडमार्क वर्ड - ओ... ओ... ओ... - सुनाई पड़ेगा। जीत गांगुली के संगीत पर सैयद कादरी का लिखा गीत 'तेरे इश्क पे तेरे वक्त पे... बस हक है इक मेरा...' बहुत खूबसूरत है। डायरेक्टर विशाल महदकर की 'ब्लड मनी' एवरेज फिल्म है, और इसके लिए हमारी रेटिंग है 2.5 स्टार...
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