नई दिल्ली:
राखी गुलजार का जन्म 15 अगस्त, 1947 को हुआ. ठीक उसी दिन जिस दिन देश को आजादी मिली. उनका जन्म पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के एक कारोबारी परिवार में हुआ. राखी की शादी कम उम्र में ही कर दी गई थी, लेकिन यह विवाह ज्यादा समय तक नहीं चल सका और उनकी अपने पति से राहें जुदा हो गईं.
राखी ने 1967 में फिल्मों में कदम रखा. उन्होंने बंगाली फिल्म ‘बधू बरन’ में काम किया. बंगाली फिल्मों से शुरू हुआ बॉलीवुड तक पहुंचा. उन्हें 1970 में धर्मेंद्र के साथ ‘जीवन मृत्यु’ ऑफर हुई. उसके बाद शशि कपूर के साथ उन्होंने शर्मीली (1971) की. 1971 उनके लिए काफी अहम था क्योंकि इस साल रिलीज हुई उनकी शर्मीली समेत ‘लाल पत्थर’ और ‘पारस’ तीनों फिल्में ही सुपरहिट रही थीं. उसके बाद उन्होंने शहजादा (1972), हीरा पन्ना (1973), दाग (1973) और आंचल (1980) जैसी सुपरहिट फिल्में भी दीं. राम लखन, बाजीगर और करण अर्जुन में उनके मां के किरदार यादगार हैं.
राखी ब्लैकमेल (1973) और तपस्या (1976) को अपनी श्रेष्ठ परफॉर्मेंस मानती हैं. बतौर हीरोइन उनकी आखिरी फिल्म ‘पिघलता आसमान’ थी जो उन्होंने शशि कपूर के साथ की थी. राखी ने 1973 में फिल्मकार और शायर गुलजार से शादी कर ली थी. उन्होंने एक बिटिया को जन्म दिया. लेकिन जब मेघना एक साल की ही थीं तो दोनों की राहें जुदा हो गईं. राखी मुंबई के बाहरी इलाके पनवेल में स्थित फार्महाउस में रहती हैं. आइए जानते हैं राखी से जुड़ी कुछ खास बातें-
वे 'कभी-कभी', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'कसमे वादे' और 'त्रिशूल' जैसी फिल्मों में अमिताभ बच्चन की हीरोइन बनकर आई थीं जबकि 'शक्ति (1982)' में वे अमिताभ की मां के किरदार में दिखीं. उस समय अमिताभ 40 के थे तो राखी 35 साल की थीं. उन्होंने अमिताभ के साथ लगभग 13 फिल्में की थीं.
राखी ने शशि कपूर के साथ 10 फिल्में कीं, जिसमें छह बॉक्स ऑफिस पर कामयाब रहीं. इनमें शर्मीली (1971), जानवर और इनसान (1972), कभी कभी (1976), तृष्णा (1978), बसेरा (1981) और पिघलता आसमान (1985) हिट रही थीं.
राखी का राजेश खन्ना के साथ रिकॉर्ड शत-प्रतिशत रहा. उनके साथ 'शहजादा', 'दाग' और 'आंचल' तीनों हिट रही थीं.
राखी गुलजार ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब वे जीवन मृत्यु की शूटिंग कर रही थीं तो उस समय एक सीन सही से नहीं कर पा रही थीं, तो डायरेक्टर सत्येन बोस ने उन्हें झापड़ रसीद कर दिया था.
राखी को हमेशा इस बात का मलाल रहा कि गुलजार ने उनके लिए कोई रोल नहीं लिखा क्योंकि गुलजार की हीरोइनें हमेशा अपने मजबूत किरदार की वजह से पहचानी जाती रही हैं.
वे राजेश खन्ना को फिल्म इंडस्ट्री के सात अजूबों में से एक मानती थीं.
राखी ने 1967 में फिल्मों में कदम रखा. उन्होंने बंगाली फिल्म ‘बधू बरन’ में काम किया. बंगाली फिल्मों से शुरू हुआ बॉलीवुड तक पहुंचा. उन्हें 1970 में धर्मेंद्र के साथ ‘जीवन मृत्यु’ ऑफर हुई. उसके बाद शशि कपूर के साथ उन्होंने शर्मीली (1971) की. 1971 उनके लिए काफी अहम था क्योंकि इस साल रिलीज हुई उनकी शर्मीली समेत ‘लाल पत्थर’ और ‘पारस’ तीनों फिल्में ही सुपरहिट रही थीं. उसके बाद उन्होंने शहजादा (1972), हीरा पन्ना (1973), दाग (1973) और आंचल (1980) जैसी सुपरहिट फिल्में भी दीं. राम लखन, बाजीगर और करण अर्जुन में उनके मां के किरदार यादगार हैं.
राखी ब्लैकमेल (1973) और तपस्या (1976) को अपनी श्रेष्ठ परफॉर्मेंस मानती हैं. बतौर हीरोइन उनकी आखिरी फिल्म ‘पिघलता आसमान’ थी जो उन्होंने शशि कपूर के साथ की थी. राखी ने 1973 में फिल्मकार और शायर गुलजार से शादी कर ली थी. उन्होंने एक बिटिया को जन्म दिया. लेकिन जब मेघना एक साल की ही थीं तो दोनों की राहें जुदा हो गईं. राखी मुंबई के बाहरी इलाके पनवेल में स्थित फार्महाउस में रहती हैं. आइए जानते हैं राखी से जुड़ी कुछ खास बातें-
वे 'कभी-कभी', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'कसमे वादे' और 'त्रिशूल' जैसी फिल्मों में अमिताभ बच्चन की हीरोइन बनकर आई थीं जबकि 'शक्ति (1982)' में वे अमिताभ की मां के किरदार में दिखीं. उस समय अमिताभ 40 के थे तो राखी 35 साल की थीं. उन्होंने अमिताभ के साथ लगभग 13 फिल्में की थीं.
राखी ने शशि कपूर के साथ 10 फिल्में कीं, जिसमें छह बॉक्स ऑफिस पर कामयाब रहीं. इनमें शर्मीली (1971), जानवर और इनसान (1972), कभी कभी (1976), तृष्णा (1978), बसेरा (1981) और पिघलता आसमान (1985) हिट रही थीं.
राखी का राजेश खन्ना के साथ रिकॉर्ड शत-प्रतिशत रहा. उनके साथ 'शहजादा', 'दाग' और 'आंचल' तीनों हिट रही थीं.
राखी गुलजार ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब वे जीवन मृत्यु की शूटिंग कर रही थीं तो उस समय एक सीन सही से नहीं कर पा रही थीं, तो डायरेक्टर सत्येन बोस ने उन्हें झापड़ रसीद कर दिया था.
राखी को हमेशा इस बात का मलाल रहा कि गुलजार ने उनके लिए कोई रोल नहीं लिखा क्योंकि गुलजार की हीरोइनें हमेशा अपने मजबूत किरदार की वजह से पहचानी जाती रही हैं.
वे राजेश खन्ना को फिल्म इंडस्ट्री के सात अजूबों में से एक मानती थीं.
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