नई दिल्ली:
लगातार रियाज़ और लगन के बूते मंत्रमुग्ध कर देने वाली खनक से भरपूर आवाज़ के जरिये संगीतप्रेमियों के दिलों की धड़कनों को तेज़ कर देने वाली सुर-साम्राज्ञी आशा भोंसले आज 82 साल की हो गई हैं, लेकिन आज भी उनका मंत्रमुग्ध कर देने वाला अंदाज़ बरकरार है।
8 सितंबर, 1933 को पंडित दीनानाथ मंगेशकर के घर पर जन्मी आशा को अपने पार्श्वगायन करियर को पहचान दिलाने के लिए बहुत लंबे अरसे तक काफी बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ा, क्योंकि वह सुरकोकिला लता मंगेशकर की छोटी बहन हैं। आशा को अपनी अलग पहचान उस दौर में बनाने की चुनौती मिली, जब लता के करोड़ों मुरीद हो चुके थे, लेकिन सचमुच अनूठी और 'नई' किस्म की आवाज़ के बूते उन्होंने वह मुश्किल भी दूर कर ही ली।
आज भी बड़ी बहन की ही तरह लगातार रियाज़ करने वाली आशा ने फिल्मों से इतर भी सैकड़ों गीत गाए, बीसियों तरह के अनूठे प्रयोग किए, और ढेरों एल्बम रिलीज़ किए, जिन्हें श्रोताओं का असीम स्नेह मिला। फिल्मी करियर के दौरान भी आशा काफी लंबे वक्त तक छाई रहीं, और सात बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार हासिल करने के अलावा उन्होंने दो बार इसी श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता। उन्हें फिल्मफेयर की ओर से लाइफटाइम एचीवमेंट पुरस्कार भी दिया जा चुका है।
इन सभी लोकप्रिय पुरस्कारों के अलावा उन्हें वर्ष 2000 में फिल्मोद्योग के सर्वोच्च सम्मान दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से भी नवाज़ा गया, और भारत सरकार ने उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से भी अलंकृत किया है। वैसे, आशा का नाम गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness Book of World Records) में भी 'संगीत के इतिहास में सबसे ज़्यादा गीत रिकॉर्ड करने वाले कलाकार' (The Most Recorded Artist in the History of Music) के रूप में दर्ज है।
खैर, हम उन्हीं के कुछ मन को छू लेने वाले गीत आपके सामने लेकर आए हैं, ताकि सभी प्रशंसक आशा के कर्णप्रिय गीतों को सुनकर अपना दिन बेहतर कर सकें।
'पिया तू...' (कारवां)
'दम मारो दम...' (हरे रामा हरे कृष्णा)
'इन आंखों की मस्ती के...' (उमराव जान)
'झुमका गिरा रे...' (मेरा साया)
'आओ हुज़ूर तुमको...' (किस्मत)
'दिल चीज़ क्या है...' (उमराव जान)
'मेरा कुछ सामान...' (इजाज़त)
'ये मेरा दिल...' (डॉन)
'पर्दे में रहने दो...' (शिकार)
'आइए मेहरबां...' (हावड़ा ब्रिज)
8 सितंबर, 1933 को पंडित दीनानाथ मंगेशकर के घर पर जन्मी आशा को अपने पार्श्वगायन करियर को पहचान दिलाने के लिए बहुत लंबे अरसे तक काफी बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ा, क्योंकि वह सुरकोकिला लता मंगेशकर की छोटी बहन हैं। आशा को अपनी अलग पहचान उस दौर में बनाने की चुनौती मिली, जब लता के करोड़ों मुरीद हो चुके थे, लेकिन सचमुच अनूठी और 'नई' किस्म की आवाज़ के बूते उन्होंने वह मुश्किल भी दूर कर ही ली।
आज भी बड़ी बहन की ही तरह लगातार रियाज़ करने वाली आशा ने फिल्मों से इतर भी सैकड़ों गीत गाए, बीसियों तरह के अनूठे प्रयोग किए, और ढेरों एल्बम रिलीज़ किए, जिन्हें श्रोताओं का असीम स्नेह मिला। फिल्मी करियर के दौरान भी आशा काफी लंबे वक्त तक छाई रहीं, और सात बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार हासिल करने के अलावा उन्होंने दो बार इसी श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता। उन्हें फिल्मफेयर की ओर से लाइफटाइम एचीवमेंट पुरस्कार भी दिया जा चुका है।
इन सभी लोकप्रिय पुरस्कारों के अलावा उन्हें वर्ष 2000 में फिल्मोद्योग के सर्वोच्च सम्मान दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से भी नवाज़ा गया, और भारत सरकार ने उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से भी अलंकृत किया है। वैसे, आशा का नाम गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness Book of World Records) में भी 'संगीत के इतिहास में सबसे ज़्यादा गीत रिकॉर्ड करने वाले कलाकार' (The Most Recorded Artist in the History of Music) के रूप में दर्ज है।
खैर, हम उन्हीं के कुछ मन को छू लेने वाले गीत आपके सामने लेकर आए हैं, ताकि सभी प्रशंसक आशा के कर्णप्रिय गीतों को सुनकर अपना दिन बेहतर कर सकें।
'पिया तू...' (कारवां)
'दम मारो दम...' (हरे रामा हरे कृष्णा)
'इन आंखों की मस्ती के...' (उमराव जान)
'झुमका गिरा रे...' (मेरा साया)
'आओ हुज़ूर तुमको...' (किस्मत)
'दिल चीज़ क्या है...' (उमराव जान)
'मेरा कुछ सामान...' (इजाज़त)
'ये मेरा दिल...' (डॉन)
'पर्दे में रहने दो...' (शिकार)
'आइए मेहरबां...' (हावड़ा ब्रिज)
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