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नई दिल्ली:
'बाहुबली 2' ने बॉक्स ऑफिस पर भारतीय सिनेमा के इतिहास के कई रिकॉर्ड्स तोड़े हैं और लोग इस फिल्म के लिए इसके कलाकारों और डायरेक्टर राजामौली की मेहनत की जमकर तारीफ कर रहे हैं. फिल्म के जबरदस्त एक्शन सीन, विजुअल इफेक्ट्स, मेकअप से लेकर बाहुबली के किरदार में प्रभास का स्टाइल और राणा डग्गुबती की शक्ति, इस फिल्म की हर चीज जमकर वाहवाही लूट रही है. लेकिन इस सब के बीच देवसेना के पति बने बाहुबली के रूप को लड़कियां बेहद पसंद कर रही हैं. दरअसल, इस फिल्म में बाहुबली को जहां अपनी प्रजा का रक्षक बताया है तो वहीं एक ऐसे पति के तौर पर भी दिखाया गया है जो अपनी पत्नी के सम्मान के लिए माहिष्मति जैसे राज को छोड़ देता है, जो अपनी पत्नी के सम्मान के लिए भरी सभा में एक व्यक्ति का सिर काट देता है.
'बाहुबली : द बिगनिंग' में तमन्ना भाटिया के किरदार में दर्शकों को एक सशक्त महिला की कमी दिखी, लेकिन 2 साल बाद आए इस फिल्म के सीक्वेल 'बाहुबली: द कन्क्लूजन' में देवसेना बीन अनुष्का शेट्टी एक दमदार महिला के तौर पर नजर आई है. ऐसे में 'बाहुबली' हर मोड़ पर अपनी पत्नी के सम्मान की रक्षा के लिए खड़ा नजर आ रहा है. आइए हम आपको बताते हैं बाहुबली के वे गुण जो उसे 'परफेक्ट हसबैंड' बना देती हैं.
अपने रौब से नहीं, सादगी से जीता देवसेना का दिल 
अमरेंद्र बाहुबली माहिष्मती जैसे विशाल साम्राज्य का राजा बनने जा रहा था और यह बात बता कर वह आसानी से देवसेना को पा सकता था. लेकिन उसने देवसेना को अपने रौब से नहीं बल्कि अपनी सादगी से जीता और उसके मन में अपने लिए प्यार पैदा किया. यही तो हर लड़की चाहती है कि उसका होने वाला पति अपनी सादगी से उसे जीते.
जो करता है परिवार और रिश्तों का सम्मान 
कटप्पा जैसे ही यह खुलासा करता है कि बाहुबली माहिष्मति का होने वाला सम्राट है, देवसेना समेत उनका पूरा परिवार बाहुबली के कदमों में झुक जाता है. लेकिन ऐसे में बाहुबली कहता है, 'संबंधी एक दूसरे के गले लगते हैं, उनके आगे झुकते नहीं हैं महाराज' और शायद हर लड़की सबसे पहली इच्छा यही रखती है कि उसका होने वाला पति उसके परिवार का भी सम्मान करे. बाहुबली का यह गुण उसके एक ही वाक्य से पता चल गया.
मां का लाड़ला है, लेकिन पत्नी की भी इज्जत 
'बाहुबली' की पहली फिल्म में ही सामने आ चुका था कि अमरेंद्र बाहुबली अपनी मां का कितना सम्मान करता है और उसे मां की तरह पूजता है. यहां तक की युद्ध पर जाने से पहले वह भगवान को नहीं अपनी मां को साक्षी मानता है. बाहुबली ने अपनी मां का आदेश पूरा करने के लिए देवसेना को बंदी भी बनाया था, लेकिन इसके बाद भी देवसेना के सम्मान की पूरी रक्षा की. अमरेंद्र बाहुबली ने भरी सभा में कहा, 'देवसेना को किसी ने हाथ भी लगाया तो समझो बाहुबली की तलवार को हाथ लगा दिया.'
हर जरूरत में है देवसेना के साथ 
बहुत से लोगों को यह फिल्म का सबसे रोमांटिक सीन भी लगा है, जिसमें जब देवसेना एक नाव में चढ़ने की कोशिश करती है और वह थोड़ा डगमगा जाती है. यह देखते ही बाहुबली तुरंत नाव में से कूदता है और अपने दोनों हाथों से उसके लिए एक ब्रिज सा बना देता है. देवसेना बाहुबली पर चढ़कर नाव तक जाती है. इससे फर्क नहीं पड़ता कि बाहुबली इतने बड़े साम्राज्य का शासक है, जब बात उसकी पत्नी की है तो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार है.
साम्राज्य की कुर्बानी 
बाहुबली चाहता तो थोड़ा चुप रहकर या देवसेना को समझा बुझा कर शांत कर सकता था और एक बार राजा बनने के बाद अपनी पत्नी के अपमान का बदला ले सकता था, लेकिन पत्नी के सम्मान और सही-गलत के बीच खड़े बाहुबली ने सच को चुना, राज्य को नहीं. बाहुबली ने अपनी पत्नी के सम्मान के आगे राज्य की सबसे बड़ी गद्दी को भी छोड़ दिया.
अपनी प्रेयसी को सिखाता है लेकिन दोस्त बन कर 
देवसेना कोशिश कर रही थी कि वह एक साथ दो तीर चला पाए लेकिन तब बाहुबली ने उसे कुछ नहीं कहा, लेकिन जब पिंडारियों का आक्रमण होता है तो वह सिर्फ दो वाक्यों में उसे वह तरीका बता देता है जिससे वह एक बार में तीन तीर चला पाती है. इस पूरे गुर को बाहुबली ने एक दोस्त की तरह उसे सिखा दिया.
'बाहुबली : द बिगनिंग' में तमन्ना भाटिया के किरदार में दर्शकों को एक सशक्त महिला की कमी दिखी, लेकिन 2 साल बाद आए इस फिल्म के सीक्वेल 'बाहुबली: द कन्क्लूजन' में देवसेना बीन अनुष्का शेट्टी एक दमदार महिला के तौर पर नजर आई है. ऐसे में 'बाहुबली' हर मोड़ पर अपनी पत्नी के सम्मान की रक्षा के लिए खड़ा नजर आ रहा है. आइए हम आपको बताते हैं बाहुबली के वे गुण जो उसे 'परफेक्ट हसबैंड' बना देती हैं.
अपने रौब से नहीं, सादगी से जीता देवसेना का दिल
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अमरेंद्र बाहुबली माहिष्मती जैसे विशाल साम्राज्य का राजा बनने जा रहा था और यह बात बता कर वह आसानी से देवसेना को पा सकता था. लेकिन उसने देवसेना को अपने रौब से नहीं बल्कि अपनी सादगी से जीता और उसके मन में अपने लिए प्यार पैदा किया. यही तो हर लड़की चाहती है कि उसका होने वाला पति अपनी सादगी से उसे जीते.
जो करता है परिवार और रिश्तों का सम्मान
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मां का लाड़ला है, लेकिन पत्नी की भी इज्जत
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'बाहुबली' की पहली फिल्म में ही सामने आ चुका था कि अमरेंद्र बाहुबली अपनी मां का कितना सम्मान करता है और उसे मां की तरह पूजता है. यहां तक की युद्ध पर जाने से पहले वह भगवान को नहीं अपनी मां को साक्षी मानता है. बाहुबली ने अपनी मां का आदेश पूरा करने के लिए देवसेना को बंदी भी बनाया था, लेकिन इसके बाद भी देवसेना के सम्मान की पूरी रक्षा की. अमरेंद्र बाहुबली ने भरी सभा में कहा, 'देवसेना को किसी ने हाथ भी लगाया तो समझो बाहुबली की तलवार को हाथ लगा दिया.'
हर जरूरत में है देवसेना के साथ
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बहुत से लोगों को यह फिल्म का सबसे रोमांटिक सीन भी लगा है, जिसमें जब देवसेना एक नाव में चढ़ने की कोशिश करती है और वह थोड़ा डगमगा जाती है. यह देखते ही बाहुबली तुरंत नाव में से कूदता है और अपने दोनों हाथों से उसके लिए एक ब्रिज सा बना देता है. देवसेना बाहुबली पर चढ़कर नाव तक जाती है. इससे फर्क नहीं पड़ता कि बाहुबली इतने बड़े साम्राज्य का शासक है, जब बात उसकी पत्नी की है तो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार है.
साम्राज्य की कुर्बानी
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बाहुबली चाहता तो थोड़ा चुप रहकर या देवसेना को समझा बुझा कर शांत कर सकता था और एक बार राजा बनने के बाद अपनी पत्नी के अपमान का बदला ले सकता था, लेकिन पत्नी के सम्मान और सही-गलत के बीच खड़े बाहुबली ने सच को चुना, राज्य को नहीं. बाहुबली ने अपनी पत्नी के सम्मान के आगे राज्य की सबसे बड़ी गद्दी को भी छोड़ दिया.
अपनी प्रेयसी को सिखाता है लेकिन दोस्त बन कर
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देवसेना कोशिश कर रही थी कि वह एक साथ दो तीर चला पाए लेकिन तब बाहुबली ने उसे कुछ नहीं कहा, लेकिन जब पिंडारियों का आक्रमण होता है तो वह सिर्फ दो वाक्यों में उसे वह तरीका बता देता है जिससे वह एक बार में तीन तीर चला पाती है. इस पूरे गुर को बाहुबली ने एक दोस्त की तरह उसे सिखा दिया.
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