आशा भोसले (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बॉलीवुड की मशहूर पार्श्व गायिका व लता मंगेशकर की छोटी बहन आशा भोसले आज अपना 83वां जन्मदिन मना रही हैं. इनका जन्म 1933 में महाराष्ट्र के ‘सांगली’ में हुआ. इनके पिता दीनानाथ मंगेशकर प्रसिद्ध गायक एवं रंगकर्मी थे, जिन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा काफी छोटी उम्र में ही आशा जी को दी. आशा जी जब सिर्फ 9 वर्ष की थीं, उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. इसके बाद इनका परिवार पुणे से कोल्हापुर और उसके बाद मुंबई आ गया.
परिवार की सहायता के लिए शुरू किया था गाना
परिवार की सहायता के लिए आशा और इनकी बड़ी बहन लता मंगेशकर ने गाना और फिल्मों में अभिनय शुरू कर दिया. 1943 में आशा ने अपनी पहली फिल्म (मराठी) ‘माझा बाल’ में गीत गाया. 1948 में बॉलीवुड में ‘चुनरिया’ का गीत ‘सावन आया...’ हंसराज बहल के लिए गाया. दक्षिण एशिया की प्रसिद्ध गायिका के रूप में आशा जी ने गीत गाए. फिल्म संगीत, पॉप, गज़ल, भजन, भारतीय शास्त्रीय संगीत, क्षेत्रीय गीत, कव्वाली, रवीन्द्र संगीत और नजरूल गीत इनके गीतों में सम्मिलित है. उन्होंने 14 से ज्यादा भाषाओं मे गीत गाए. उन्होंने 12000 से अधिक गीतों को अपनी आवाज दी.
16 साल की उम्न में की थी शादी
आशा जी ने पारिवार की इच्छा के खिलाफ सिर्फ 16 साल की उम्न में अपने 31 वर्षीय प्रेमी ‘गणपत राव भोसले’ से विवाह किया. गणपत राव लता जी के निजी सचिव थे. यह विवाह असफल रहा. पति एवं उनके भाइयों के बुरे वर्ताव के कारण इस विवाह का दु:खान्त हो गया. सन 1960 के आसपास विवाह टूटने के बाद आशा जी अपनी मां के घर दो बच्चों और तीसरे गर्भस्थ शिशु (आनन्द) के साथ लौट आईं. सन 1980 में आशा जी ने राहुल देव बर्मन (पंचम) से विवाह किया. यह विवाह आशा जी ने राहुल देव बर्मन की अंतिम सांसों तक निभाया. आशा जी के तीन बच्चे हैं. साथ ही पांच पौत्र भी हैं.
ये चार फिल्में साबित हुईं मील का पत्थर
आशा जी के गायकी के करियर में ये चार फिल्में 'तीसरी मंजिल' (1966), 'उमराव जान' (1981), 'रंगीला' (1995) और 'नया दौर' (1957) मिल का पत्थर साबित हुईं. आशा जी की पहली बड़ी सफल फिल्म बीआर चोपड़ा की ‘नया दौर’ थी. मोहम्मद रफी के साथ गाए उनके गीत ‘मांग के साथ तुम्हारा....’, ‘साथी हाथ बढ़ाना...’ और ‘उड़े जब-जब जुल्फें तेरी...’ खासे लोकप्रिय हुए. ओपी नैयर के संगीत निर्देशन में गाए गए गीतों से उन्हें अच्छी शोहरत मिली. आशा ने नैयर के साथ पहले भी काम किया था पर 'नया दौर' वह पहली फिल्म थी जिसके सारे गीत आशा ने मुख्य अभिनेत्री के लिए गाए थे.
खुशी से बर्मन ने दिया था 100 रुपये का नोट
प्रोड्यूसर बीआर चोपड़ा ने 'नया दौर' में उनकी प्रतिभा की पहचान कर आने वाली बाद की फिल्मों में उन्हें पुन: मौका दिया. उनमें प्रमुख फिल्में 'वक्त', 'गुमराह', 'हमराज', 'आदमी' और 'इंसान और धुंध' आदि है. आशा जी को 1966 में आई फिल्म तीसरी मंजिल से काफी प्रसिद्धी मिली. जब गीत ‘आजा आजा...’ की उन्होंने धुन सुनी तो पहले गाने से इनकार कर दिया था, जो कि वेस्टर्न डांस नंबर पर आधारित थी. तब आरडी बर्मन ने संगीत को बदलने का प्रस्ताव आशा जी को दिया, लेकिन आशा जी ने यह चैलेंज स्वीकार करते हुए गीत गाए. दस दिन के अभ्यास के बाद जब अंतिम तौर पर यह खास गीत आशा जी ने गाए तो खुशी से राहुलदेव बर्मन ने सौ रुपये का नोट उनके हाथ पर रख दिया था. (इनपुट विकीपीडिया से)
अब सुनिए, आशा भोसले द्वारा गाए गए 10 सदाबार गीत-
परिवार की सहायता के लिए शुरू किया था गाना
परिवार की सहायता के लिए आशा और इनकी बड़ी बहन लता मंगेशकर ने गाना और फिल्मों में अभिनय शुरू कर दिया. 1943 में आशा ने अपनी पहली फिल्म (मराठी) ‘माझा बाल’ में गीत गाया. 1948 में बॉलीवुड में ‘चुनरिया’ का गीत ‘सावन आया...’ हंसराज बहल के लिए गाया. दक्षिण एशिया की प्रसिद्ध गायिका के रूप में आशा जी ने गीत गाए. फिल्म संगीत, पॉप, गज़ल, भजन, भारतीय शास्त्रीय संगीत, क्षेत्रीय गीत, कव्वाली, रवीन्द्र संगीत और नजरूल गीत इनके गीतों में सम्मिलित है. उन्होंने 14 से ज्यादा भाषाओं मे गीत गाए. उन्होंने 12000 से अधिक गीतों को अपनी आवाज दी.
16 साल की उम्न में की थी शादी
आशा जी ने पारिवार की इच्छा के खिलाफ सिर्फ 16 साल की उम्न में अपने 31 वर्षीय प्रेमी ‘गणपत राव भोसले’ से विवाह किया. गणपत राव लता जी के निजी सचिव थे. यह विवाह असफल रहा. पति एवं उनके भाइयों के बुरे वर्ताव के कारण इस विवाह का दु:खान्त हो गया. सन 1960 के आसपास विवाह टूटने के बाद आशा जी अपनी मां के घर दो बच्चों और तीसरे गर्भस्थ शिशु (आनन्द) के साथ लौट आईं. सन 1980 में आशा जी ने राहुल देव बर्मन (पंचम) से विवाह किया. यह विवाह आशा जी ने राहुल देव बर्मन की अंतिम सांसों तक निभाया. आशा जी के तीन बच्चे हैं. साथ ही पांच पौत्र भी हैं.
ये चार फिल्में साबित हुईं मील का पत्थर
आशा जी के गायकी के करियर में ये चार फिल्में 'तीसरी मंजिल' (1966), 'उमराव जान' (1981), 'रंगीला' (1995) और 'नया दौर' (1957) मिल का पत्थर साबित हुईं. आशा जी की पहली बड़ी सफल फिल्म बीआर चोपड़ा की ‘नया दौर’ थी. मोहम्मद रफी के साथ गाए उनके गीत ‘मांग के साथ तुम्हारा....’, ‘साथी हाथ बढ़ाना...’ और ‘उड़े जब-जब जुल्फें तेरी...’ खासे लोकप्रिय हुए. ओपी नैयर के संगीत निर्देशन में गाए गए गीतों से उन्हें अच्छी शोहरत मिली. आशा ने नैयर के साथ पहले भी काम किया था पर 'नया दौर' वह पहली फिल्म थी जिसके सारे गीत आशा ने मुख्य अभिनेत्री के लिए गाए थे.
खुशी से बर्मन ने दिया था 100 रुपये का नोट
प्रोड्यूसर बीआर चोपड़ा ने 'नया दौर' में उनकी प्रतिभा की पहचान कर आने वाली बाद की फिल्मों में उन्हें पुन: मौका दिया. उनमें प्रमुख फिल्में 'वक्त', 'गुमराह', 'हमराज', 'आदमी' और 'इंसान और धुंध' आदि है. आशा जी को 1966 में आई फिल्म तीसरी मंजिल से काफी प्रसिद्धी मिली. जब गीत ‘आजा आजा...’ की उन्होंने धुन सुनी तो पहले गाने से इनकार कर दिया था, जो कि वेस्टर्न डांस नंबर पर आधारित थी. तब आरडी बर्मन ने संगीत को बदलने का प्रस्ताव आशा जी को दिया, लेकिन आशा जी ने यह चैलेंज स्वीकार करते हुए गीत गाए. दस दिन के अभ्यास के बाद जब अंतिम तौर पर यह खास गीत आशा जी ने गाए तो खुशी से राहुलदेव बर्मन ने सौ रुपये का नोट उनके हाथ पर रख दिया था. (इनपुट विकीपीडिया से)
अब सुनिए, आशा भोसले द्वारा गाए गए 10 सदाबार गीत-
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