नई दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अभिनेता अक्षय कुमार को यहां एक निचली अदालत में सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत पेशी से बुधवार को छूट दे दी. हिंदी फिल्म 'जॉली एलएलबी 2' की टीम के खिलाफ दायर मानहानि के एक मामले में अक्षय को अदालत में पेश होना था. न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके अक्षय कुमार को व्यक्तिगत पेशी से छूट देते हुए कहा कि अभिनेता न्यायालय में अपने वकील के जरिए उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं. निचली अदालत ने आठ फरवरी को 'जॉली एलएलबी 2' के निर्माता फॉक्स स्टार स्टूडियोज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, कार्यकारी निर्माता नरेन कुमार, निर्देशक सुभाष कपूर, अन्नू कपूर और अक्षय कुमार के अलावा अन्य लोगों को मानहानि संबंधी मुकदमे में अदालत के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया था. इस मुकदमे को बाटा शू कंपनी ने दायर किया है.
अक्षय ने इस आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. बाटा लिमिटेड फुटवीयर कंपनी ने फिल्म 'जॉली एलएलबी 2' की टीम के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया है. फिल्म की टीम पर फिल्म के पहले आधिकारिक ट्रेलर में बाटा के ब्रांड का हवाला अपमानजनक टिप्पणी और निंदात्मक रूप में किए जाने का आरोप है.
कंपनी ने अपने मुकदमे में कहा था कि ब्रांड बाटा को लगातार बुरे व्यवहार में दिखाने और फिल्म के ट्रेलर में बताया जा रहा है कि बाटा को समाज के कमजोर तबके के लोग पहनते हैं और यदि कोई इसे पहनता है तो उसे अपमानजनक महसूस करना चाहिए. निचली अदालत ने प्रथम दृष्ट्या इस अपराध को भारतीय दंड संहिता की धारा 500(मानहानि) और 120बी(आपराधिक साजिश) के तहत पाया था, जिसे आरोपियों पर लगाया गया है. अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के पर्याप्त आधार मौजूद हैं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अक्षय ने इस आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. बाटा लिमिटेड फुटवीयर कंपनी ने फिल्म 'जॉली एलएलबी 2' की टीम के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया है. फिल्म की टीम पर फिल्म के पहले आधिकारिक ट्रेलर में बाटा के ब्रांड का हवाला अपमानजनक टिप्पणी और निंदात्मक रूप में किए जाने का आरोप है.
कंपनी ने अपने मुकदमे में कहा था कि ब्रांड बाटा को लगातार बुरे व्यवहार में दिखाने और फिल्म के ट्रेलर में बताया जा रहा है कि बाटा को समाज के कमजोर तबके के लोग पहनते हैं और यदि कोई इसे पहनता है तो उसे अपमानजनक महसूस करना चाहिए. निचली अदालत ने प्रथम दृष्ट्या इस अपराध को भारतीय दंड संहिता की धारा 500(मानहानि) और 120बी(आपराधिक साजिश) के तहत पाया था, जिसे आरोपियों पर लगाया गया है. अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के पर्याप्त आधार मौजूद हैं.
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