यह ख़बर 26 जनवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

बांधे रखती है 'अग्निपथ'...

खास बातें

  • नई 'अग्निपथ' एंटरटेन भी करती है... शर्त सिर्फ यही है कि आप बार-बार नोस्टालजिया में न जाएं...
मुंबई:

'अग्निपथ' रिलीज़ हो गई है, और ऐसे में नई और पुरानी 'अग्निपथ' के मुकाबले को टाला नहीं जा सकता और यहीं डायरेक्टर मुकुल आनंद की अमिताभ-स्टारर 'अग्निपथ' का पलड़ा भारी दिखता है। ओरिजनल में हजारों की भीड़ का एक ताकतवर भगवान होता था, जिसके एक इशारे पर लोग जान दे देते थे। उसी भीड़ के बीच विजय दीनानाथ चौहान का हीरोइज़्म उभरता था, जिसमें फायरब्रांड अमिताभ की भर्राई आवाज और स्टाइलिश डायलॉग्स आग भरते थे, लेकिन 'अग्निपथ' की रीमेक में यह हीरोइज़्म गायब है।

नए विजय के अंदर गुस्से का तूफान है, लेकिन बाहर से वह शांत है... और यहीं कांचा चीना और रऊफ लाला जैसे विलेन हीरो पर भारी पड़ने लगते हैं। वह विजय दिल से काम लेता था और यह विजय तिकड़मी है।

'अग्निपथ' बाप की मौत का बदला लेने को बेताब बेटे का रिवेंज ड्रामा है, सो, अगर रीमेक में बेसिक प्लॉट भी वही रहेगा, तो यह फिल्म क्यों देखें... इसीलिए रीमेक की कहानी और किरदारों में काफी बदलाव किए गए हैं। फिल्म में कई बेहतरीन पल हैं। क्लाइमेक्स पर गणेशोत्सव में मर्डर करते वक्त हीरो अपना इंट्रोडक्शन देता है, विजय दीनानाथ चौहान।

ऋतिक की एक्टिंग बेहतरीन है, खतरनाक क्रिमिनल रउफ लाला के रोल में ऋषि कपूर का परफॉरमेंस बेहतरीन है। रऊफ लाला अपने बेटे की मौत से गुस्साया हुआ है, हीरो की बहन को बेचने की कोशिश करता है, लेकिन मातम में ही कमजोर पड़कर जान दे देता है। देखा जाए तो ऋषि ने संजय दत्त को भी एक तरफ बिठा दिया है।

कांचा चीना के रोल में संजय दत्त का लुक खतरनाक है। काला चोगा, कान में बालियां, हाथों में टैटू बनवाकर वह मांडवा की उफनती समुद्री लहरों और घनघोर बारिश के बीच गीता का सार समझाकर दुश्मन की जान लेता है। हालांकि संजय दत्त बेहतर कर सकते थे।

'चिकनी चमेली' आइटम नंबर में कैटरीना कैफ की फुर्ती बिजली-सी है, और 'शीला की जवानी' को हजारों मील पीछे छोड़ गई है, लेकिन ऋतिक रोशन-प्रियंका चोपड़ा की लव स्टोरी में कोई दम नहीं है। नई 'अग्निपथ' में कई सीन्स रिएलिस्टिक नहीं हैं, जैसे मांडवा में घनघोर बारिश के बीच भी गांववालों की मशालें नहीं बुझतीं। चाकू खाने के बाद भी हीरो के शरीर से निशान गायब हैं। इस तरह के अनरिएलिस्टिक सीन्स तो ओरिजनल में नहीं थे, जबकि अमिताभ भी गोलियों की बौछार खाने के ज़िन्दा रहे थे।

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बहरहाल, कई बुराइयों के बावजूद डायरेक्टर करण मल्होत्रा की 'अग्निपथ' बांधे रखती है, एंटरटेन करती है... शर्त सिर्फ यही है कि आप बार-बार नोस्टालजिया में न जाएं। यह फिल्म उनके लिए है, जो खालिस मसाला फिल्में पसंद करते हैं। फिल्म के लिए हमारी रेटिंग है 3-स्टार।