चुनौतियों को संभावनाओं में बदल क्या जिग्नेश मेवाणी बन पाएंगे दलितों के असली नायक, 7 खास बातें

कई सालों बाद कोई दलित समुदाय से आया नेता सत्ता से टकरा रहा है न सिर्फ अधिकारों के लिए बल्कि अपने समुदाय के लोगों के लिए भी. सवाल है कि क्या जिग्नेश मेवानी के अंदर 'कांशीराम' बनने की क्षमता है?

चुनौतियों को संभावनाओं में बदल क्या जिग्नेश मेवाणी बन पाएंगे दलितों के असली नायक, 7 खास बातें

गुजरात के वडगांव सीट से विधायक चुने गए जिग्नेश मेवाणी

नई दिल्ली: दलित नेता और गुजरात से पहली बार विधायक बने जिग्नेश मेवाणी मंगलवार को संसद मार्ग से पीएम निवास तक 'युवा हुंकार रैली' करने वाले हैं. हालांकि 26 जनवरी की सुरक्षा के मद्देनज़र रैली की इजाज़त नहीं मिली है.पार्लियामेंट स्‍ट्रीट पर दिल्‍ली पुलिस ने भारी संख्‍या में पुलिस बल तैनात किया. अब आपको लग रहा होगा कि यह सब तो अक्सर दिल्ली में होता ही रहता है. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह साधारण नहीं है. क्योंकि कई सालों बाद कोई दलित समुदाय से आया नेता सत्ता से टकरा रहा है न सिर्फ अधिकारों के लिए बल्कि अपने समुदाय के लोगों के लिए भी. सवाल है कि क्या जिग्नेश मेवानी के अंदर 'कांशीराम' बनने की क्षमता है?

7 खास बातें

  1. जिग्नेश मेवाणी गुजरात से आते हैं और हाल ही में हुए चुनाव में वह कांग्रेस के समर्थन से विधायक बने हैं. गुजरात में वह दलितों के नेता बनकर उभर रहे हैं लेकिन अभी उनको अपने दम पर बहुत कुछ साबित करना है.

  2. कांशीराम के बाद जितने भी दलित नेता हैं उनमें  मायावती  को छोड़कर कोई अलग धारा नहीं बना पाया है. महाराष्ट्र में रामदास अठावले एनडीए में हैं. दिल्ली में डॉ. उदितराज ने दलितों के लिए नया मंच खड़ा करने की कोशिश की लेकिन वह भी बीजेपी सांसद बन गए. बिहार से रामविलास पासवान भी एनडीए सरकार में मंत्री हैं. मायावती का भी जादू अब दलितों के सिर चढ़कर बोल नहीं रहा है. 

  3. ये जिग्नेश मेवाणी के लिए चुनौती भी है और मौका भी. क्योंकि दलितों के दम पर ही मायावती उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बन चुकी हैं. अभी वर्तमान राजनीति में ऐसा कोई नेता नहीं है जो दलितों का विश्वास पूरी तरह से जीत सके. 

  4. भीमराव अंबेडकर के पौत्र  प्रकाश अंबेडकर  इस मामले में उनकाे चुनौती दे सकते हैं लेकिन उनका प्रभाव भी महाराष्ट्र से बाहर देखना अभी बाकी है. लेकिन जिग्नेश जैसी ऊर्जा उनके अंदर नहीं है.  

  5. जिग्नेश मेवाणी ने एक पढ़े-लिखे युवा नेता हैं. अंग्रेजी साहित्य से उन्होंने मास्टर्स, एलएलबी और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है. साल में 2016 में उन्होंने गुजरात में दलितों पर गोरक्षकों की ओर से किए गए हमले के खिलाफ अहमदाबाद से ऊना तक मार्च निकाला था जिसमें 20 हजार के करीब लोगों ने हिस्सा लिया था. 

  6. जिग्नेश मेवाणी के अंदर सड़क पर संघर्ष करने की क्षमता है. वह मृदुभाषी हैं, किसी भी तरह के प्रोपेगेंडा के खिलाफ वह सोशल मीडिया का अच्छा इस्तेमाल करना जानते हैं और टीवी पर बहस के दौरान भी वह जोरदार और तर्कों के साथ अपना पक्ष रखते हैं. 

  7. जिग्नेश मेवाणी कांग्रेस के समर्थन से विधायक जरूर बन गए हैं लेकिन यहीं से अब उनको अपनी राजनीति का रास्ता खोजना चाहिए.