उत्तराखंड में हरीश रावत को बहुमत साबित करना है।
देहरादून:
मंगलवार को कांग्रेस के हरीश रावत के विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के लिए उत्तराखंड से दो घंटे के लिए राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया था। इस पूरी कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग कर सुप्रीम कोर्ट को भेजी गई है जो यह फैसला करेगा कि विश्वास मत में रावत जीते हैं या नहीं।
उत्तराखंड में सियासी संकट से जुड़ी खास बातें
- कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को वोटिंग के अधिकार से वंचित किया गया। ऐसे में 71 सदस्यीय विधानसभा का संख्या बल 62 तक सीमित रह गया। हरीश रावत को विश्वास मत हासिल करने के लिए 31 विधायकों के साथ की जरूरत थी। उनके पास कांग्रेस के 27 विधायकों का समर्थन है, इसके अलावा छोटी पार्टियों और निर्दलीयों के समर्थन की भी वे उम्मीद लगाए थे।
- प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी के 28 विधायक हैं, इसमें एक बागी भीमलाल आर्य का नाम भी शामिल है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी को एक कांग्रेस विधायक रेखा आर्य से भी समर्थन मिला है।
- ऐसे में समय जब मुकाबला बेहद नजदीकी था, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के दो सदस्यों को झुकाव किस तरफ रहा, इस पर हर किसी होगा, यह जानने को हर कोई उत्सुक था। सूत्रों की मानें तो बीएसपी विधायकों ने हरीश रावत का साथ दिया।
- संसद सत्र के चलते दिल्ली में मौजूद बीएसपी प्रमुख मायावती का रुख कांग्रेस के पक्ष में दिखा था। बीएसपी विधायक के समर्थन के बदले में कांग्रेस ने बीएसपी के पंचायत के उम्मीदवारों के समर्थन का प्रस्ताव दिया था।
- कांग्रेस के 27 विधायकों में स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल का नाम भी शामिल है।तीन निर्दलीय विधायक भी हैं और एक सदस्य उत्तराखंड क्रांति दल का हैं, इन्होंने वोटिंग के पहले रावत के प्रति समर्थन जताया था।
- विश्वास मत को लेकर नर्वस कांग्रेस ने अपने विधायकों के लिए मसूरी में एक रिसॉर्ट बुक किया था। पार्टी की शिल्पी अरोरा ने कहा था कि उसे बीजेपी की ओर से विधायकों की खरीद-फरोख्त का अंदेशा है।
- उत्तराखंड विधानसभा के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। वोटिंग का अधिकार रखने वाले विधायक और सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त आब्जर्वर को ही सदन में प्रवेश का अधिकार था।
- सदन में मोबाइल फोन और इलेक्ट्रानिक गेजेट्स ले जाने की इजाजत नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को वोटिंग से अयोग्य घोषित किया था। इन विधायकों को मंगलवार को सदन में प्रवेश की इजाजत नहीं थी।
- सदस्यों को सदन में इस तरह से बैठना था जिससे यह पता चल सके कि वे किस पक्ष को समर्थन कर रहे हैं। हरीश रावत का विरोध करने वाले सदस्य विपक्ष वाली बेंचों पर बैठे। समर्थन व्यक्त करने के लिए हाथ उठाकर दिखाना था।
- हरीश रावत इस वर्ष मार्च माह तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे जब केंद्र ने यह कहते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया कि रावत बहुमत खो चुके हैं। कांग्रेस के नौ बागी विधायकों ने अपनी सरकार के वार्षिक बजट के खिलाफ वोट किया था।
- उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया था। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी थी।