त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को मतगणना का दौर जारी है. यहां 18 फरवरी को चुनाव हुए थे. राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से 59 पर मतगणना हो रही है. चारीलाम सीट से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के उम्मीदवार रामेंद्र नारायण देबर्मा के निधन की वजह से इस सीट पर 12 मार्च को मतदान होगा. त्रिपुरा के शुरुआती रुझानों में बीजेपी 25 साल से काबिज लेफ्ट सरकार को कड़ी टक्कर दे रही है.
बीजेपी के शानदार प्रदर्शन के ये हैं छह कारण
बीजेपी केे शानदार प्रदर्शन का सबसे बड़ा कारण है सत्ता विरोधी लहर है. यहां पिछले 25 साल से लेफ्ट पार्टी की सरकार है और पिछले 20 साल से माणिक सरकार त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं.
2014 में एनडीए की केन्द्र में सरकार आने के बाद बीजेपी ने पूर्वोत्तर के राज्यों पर खासा ध्यान दिया है, जिसमें से त्रिपुरा भी एक है. यहां चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने माणिक सरकार बनाम मोदी सरकार का कार्ड खेला था.
पीएम मोदी ने त्रिपुरा में चार चुनावी रैलियां की. इतना ही नहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत कई बड़े नेताओं ने रैलियां की है.
चुनाव से पहले कांग्रेस के विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ा. इसमें कई विधायक बीजेपी में शामिल हुए और चुनाव में कांग्रेस के पास कोई चेहरा बचा नहीं. इसका फायदा भी बीजेपी को मिला. पिछले चुनाव में यहां कांग्रेस के पास 35 फीसदी वोट हासिल किए थे.
बीजेपी ने सबसे ज्यादा ट्राइबल वोटरों पर ध्यान दिया है. क्योंकि 30 फीसदी सिर्फ ट्राइबल है और ट्राइबल की 20 सीटें लेफ्ट का गढ़ हैं. आपको बता दें लेफ्ट के पास पिछले चुनाव में 51 फीसदी वोट पर कब्जा था.
लेफ्ट एक काडर बेस पार्टी है और बीजेपी के काडर ने त्रिपुरा में उसे कड़ी चुनौती दी है. 2013 के विधानसभा में बीजेपी को त्रिपुरा में सिर्फ दो फीसदी वोट मिले थे. इसके बाद बीजेपी ने जमीनी स्तर पर काम किया और निकाय चुनाव में 221 सीटों पर जीत हासिल की थी.