सबरीमाला मंदिर (Sabarimla Temple) के दरवाजे बुधवार को सभी उम्र की महिलाओं के लिए खुलने वाले हैं. सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले के बाद केरल का सबरीमाला मंदिर आज पहली बार खुल रहा है. ये पहली बार होगा जब सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाज़त होगी. महिलाओं के प्रवेश के विरोध को देखते हुए जगह-जगह कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं. दरअसल, सबरीमाला मंदिर (Sabarimla Temple Portal) में सभी महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी लोग इसका विरोध कर रहे हैं और मंदिर के द्वारा खोले जाने के विरोध में आत्महत्या तक की धमकी दे चुके हैं. सरकार ने किसी अनहोनी के मद्देनजर सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था की है. चप्पे-चप्पे पर भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है.
सबरीमाला मंदिर मामले से जुड़ी 10 बड़ी बातें
- केरल में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को देखते हुए किसी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए सरकार और प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किये हैं. करीब एक हजार सुरक्षा कर्मी, जिनमें 800 पुरुष और 200 महिलाएं शामिल हैं, उन्हें निल्लेकल और पंपा बेस में तैनात किया गया है. वहीं, 500 सुरक्षा कर्मियों को सन्निधनम में तैनात किया गया है. गौरतलब है कि आज सबरीमाला मंदिर का पट खुलेगा.
- इधर कई संगठनों और पार्टियों के लोग महिलाओं को मंदिर तक पहुंचने से रोक रहे हैं. पुलिस ने सात प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया है. प्रदर्शनकारियों को आस-पास से हटाया जा रहा है... चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है.
- मंगलवार को हालात को सुलझाने के लिए त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) के अंतिम प्रयास बेकार रहे जहां पंडालम शाही परिवार और अन्य पक्षकार इस मामले में बुलाई गयी बैठक को छोड़कर चले गये. शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के मुद्दे पर बातचीत करने में बोर्ड की अनिच्छा से ये लोग निराश दिखे.
- इस बीच भगवान अयप्पा की सैकड़ों महिला श्रद्धालुओं ने मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर जाकर उन महिलाओं को मंदिर से करीब 20 किलोमीटर पहले रोकने का प्रयास किया जिनकी आयु को देखकर उन्हें लगा कि उनकी आयु मासिर्क धर्म वाली हो सकती है. ‘स्वामीया शरणम् अयप्पा’ के नारों के साथ भगवान अयप्पा भक्तों ने इस आयु वर्ग की लड़कियों और महिलाओं की बसें और निजी वाहन रोके और उन्हें यात्रा नहीं करने के लिए मजबूर किया. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अब से सबरीमाला मंदिर में हर वर्ग की महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं.
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि धर्म एक गरिमा और पहचान है .अयप्पा कुछ अलग नहीं हैं. जो नियम जैविक और शारीरिक प्रक्रिया पर बने हैं वो संवैधानिक टेस्ट पर पास नहीं हो सकते.
- उस वक्त के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि पूजा का अधिकार सभी श्रद्धालुओं को है. उन्होंने कहा कि सबरीमाला की पंरपरा को धर्रम का अभिन्न हिस्सा नहीं माना जा सकता.
- जस्टिस नरीमन ने कहा कि मंदिर में महिलाओं को भी पूजा का समान अधिकार. ये मौलिक अधिकार है. भारत में महिलाओं के अधिकार के लिए बड़ा दिन. सुप्रीम कोर्ट ने सभी महिलाओं के लिए सबरीमाला मंदिर के दरवाजे खोले. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबरीमाला की परंपरा असंवैधानिक है.
- जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि मासिक धर्म की आड़ लेकर लगाई गई पाबन्दी महिलाओं की गरिमा के खिलाफ. अयप्पा के श्रद्धालु कोई अलग वर्ग नहीं हैं. महिलाओं को मासिक धर्म के आधार पर सामाजिक तौर पर बाहर करना संविधान के खिलाफ है. ये कहना कि महिला 41 दिन का व्रत नहीं कर सकतीं ये स्टीरियोटाइप है.
- वहीं, जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने कहा था कि इस मुद्दे का दूर तक असर जाएगा. धार्मिक परंपराओं में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए. अगर किसी को किसी धार्मिक प्रथा में भरोसा है तो उसका सम्मान हो. ये प्रथाएं संविधान से संरक्षित हैं. समानता के अधिकार को धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के साथ ही देखना चाहिए. कोर्ट का काम प्रथाओं को रद्द करना नहीं है.
इस विरोध की हैरान करने वाली बात है कि सबरीमाला मंदिर के संदर्भ में सुप्रीम फैसले के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हो रही हैं.