नई दिल्ली:
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
ट्रेनों में कंबलों के गंदे होने की शिकायतों से परेशान भारतीय रेलवे ने कंबलों के ज्यादा बार धुलने और मौजूदा कंबलों को चरणबद्ध तरीके से डिजाइनर एवं हल्के कंबलों से बदलने के लिए एक कार्य योजना तैयार की है. इसके अलावा इस्तेमाल किए हुए कंबलों को फिर से इस्तेमाल किए जाने से पहले नियमित रूप से साफ किया जाएगा. कंबलों को हर एक या दो महीने के भीतर धोने का निर्देश है. हालांकि, अब जल्द ही ट्रेनों में बदबूदार कंबल गुजरे समय की बात हो सकते हैं. पढ़ें पांच खास बातें...
- रेलवे ने राष्ट्रीय फैशन डिजाइन संस्थान (निफ्ट) को कम ऊन वाले हल्के कंबल बनाने का काम सौंपा है. पतले, सामान्य पानी से धुलने लायक कंबलों का परीक्षण भी मध्य रेलवे जोन में पायलट परियोजना के तौर पर किया जा रहा है.
- रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य ट्रेनों में हर यात्रा के दौरान साफ लिनन के साथ धुले हुए कंबल मुहैया कराना है.’’
- फिलहाल लिनन के 3.90 लाख सेट रोजाना मुहैया कराए जाते हैं. इनमें दो चादर, एक तौलिया, तकिया और कंबल शामिल है, जो वातानुकूलित डिब्बों में हर यात्री को दिए जाते हैं.
- कंबलों को अधिक धोने और मौजूदा कंबलों को चरणबद्ध तरीके से नए हल्के एवं मुलायम कपड़े से बने कंबलों से बदलने की योजना बनाई गई है. अधिकारी ने बताया कि कुछ खंडों में कंबलों के कवर बदलने का काम शुरू कर दिया गया है और कंबलों को अब एक माह की जगह 15 दिन और एक सप्ताह में धोने का काम शुरू किया जा रहा है.
- एक दिन पहले ही खबर आई थी कि कैग की फटकार के बाद संभवत: ट्रेनों के एसी कोच में कंबल देने की व्यवस्था ही खत्म कर दी जाएगी. कहा जा रहा था कि कोच के तापमान को थोड़ा बढ़ाकर रेलवे कंबल देने की व्यवस्था समाप्त करने का मन बना रही है.
VIDEO: सीएजी की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)