
गुजरात में आज विजय भाई रुपाणी ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ही है. उनके साथ नितिन पटेल सहित 20 मंत्रियों ने शपथ ली है. शपथग्रहण के दौरान पीएम मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान सहित कई राज्यों के सीएम और बीजेपी के बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री मौजूद थे. चुनाव के बाद माना जा रहा था कि कम सीटें आने की वजह से हो सकता है कि बीजेपी इस बार रुपाणी को मौका न दें लेकिन पाटीदार आंदोलन के बाद गुजरात में उपजे विपरीत हालात के बीच विजय रुपाणी ने बिना किसी खास दिक्कत के सरकार चलाई.
सीएम रुपाणी से जुड़ीं खास बातें
विजय रुपाणी का जन्म बर्मा में हुआ था. 1960 में बर्मा में राजनीतिक उथल-पुथल के चलते उनका परिवार राजकोट आ गया था. रुपाणी जैन समाज से हैं और उनके दो बेटे और एक बेटी है.
उन्होंने सौराष्ट्र विश्वविद्यालय से बीए की पढ़ाई की. छात्र जीवन के दौरान ही वह एबीवीपी और आरएसएस से जुड़ गए.
इमरजेंसी के दौरान वह 11 महीने जेल भी गए.
1996- 97 के बीच वह राजकोट शहर के मेयर भी रहे. वर्ष 1996-97 में राजकोट के महापौर के तौर पर उन्होंने बुनियादी ढांचों में सुधार की अपनी पहलों से शहर में लोकप्रियता हासिल की.
मुख्यमंत्री बनने से पहले वह गुजरात प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. आनंदीबेन पटेल जब मुख्यमंत्री थीं तब वह परिवहन और जल आपूर्ति मंत्री थे.
7 अगस्त 2016 से वह गुजरात के मुख्यमंत्री हैं. राजकोट पश्चिम से वह चुनाव लड़ते हैं और इस बार भी वहीं से जीते हैं.
रुपाणी ने 1974 में गुजरात नवनिर्माण आंदोलन के दौरान अपना राजनीतिक कौशल निखारा था. यह आर्थिक संकट और सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के विरुद्ध विद्यार्थियों एवं मध्यवर्ग का सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन था.
गुजरात में बीजेपी ने इस बार किसी विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार तो बना ली है. लेकिन विजय रुपाणी के सामने अभी बड़ी चुनौती है. उनके सामने गुजरात में गांवों के विकास और जातिगत आंदोलनों को शांत करना है.
विजय रुपाणी के पास इस अपना राजनीतिक कौशल दिखाने के लिए सिर्फ 1 साल से थोड़े ज्यादा का ही समय है.
2019 में लोकसभा के चुनाव में वह बीजेपी को गुजरात में कितनी सीटें दिलाते हैं यह देखने वाली बात होगी. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां सभी सीटें जीती थीं.