पीएम नरेंद्र मोदी ने संत कबीर की सीख के सहारे, विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, कुछ लोग समाज में शांति नहीं कलह चाहते हैं. ऐसे लोग जमीन से कटे हुए हैं. उन्हें हकीकत का पता ही नहीं है. उन्होंने संत कबीर को पढ़ा ही नहीं. पीएम मोदी ने कहा, आज भी हम समाजवाद और बहुजनवाद की बात करने वालों को सत्ता के लिए उलझते देखते हैं. जब हम लोगों की घर की बात कर रहे थे, उस समय उनका ध्यान अपने बंगले पर लगा था.
10 बातें
समाजवाद और बहुजन की बात करने वालों का सत्ता के प्रति लालच आप देख रहे हैं. 2 दिन पहले देश में आपातकाल को 43 साल हुए हैं. सत्ता का लालच ऐसा है कि आपातकाल लगाने वाले और उस समय आपातकाल का विरोध करने वाले एक साथ आ गए हैं. ये समाज नहीं, सिर्फ अपने और अपने परिवार का हित देखते हैं.
कुछ दलों को शांति और विकास नहीं, कलह और अशांति चाहिए. उनको लगता है जितना असंतोष और अशांति का वातावरण बनाएंगे. उतना राजनीतिक लाभ होगा. सच्चाई ये है ऐसे लोग जमीन से कट चुके हैं. इन्हें अंदाजा नहीं कि संत कबीर, महात्मा गांधी, बाबा साहेब को मानने वाले हमारे देश का स्वभाव क्या है.
सत्ता का लालच ऐसा है कि आपातकाल लगाने वाले और उस समय आपातकाल का विरोध करने वाले एक साथ आ गए हैं. ये समाज नहीं, सिर्फ अपने और अपने परिवार का हित देखते हैं.
हमारी सरकार गरीब, दलित, पीड़ित, शोषित-वंचित और महिलाओं को सशक्त करने के लिए काम कर रही है.
ट्रिपल तलाक पर भी रोड़े अटकाए गए, कुछ लोग नहीं चाहते थे कि समाज की बुराईयां खत्म हो.
80 लाख से ज्यादा मुफ्त गैस कनेक्शन देकर गरीब महिलाओं को सशक्त करने का काम किया है. जनधन योजना के तहत उत्तर प्रदेश में लगभग 5 करोड़ गरीबों के बैंक खाते खोलकर गरीबों को सशक्त करने का काम किया है.
ये हमारे देश की महान धरती का तप है, उसकी पुण्यता है कि समय के साथ, समाज में आने वाली आंतरिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए समय-समय पर ऋषियों, मुनियों, संतों का मार्गदर्शन मिला. सैकड़ों वर्षों की गुलामी के कालखंड में अगर देश की आत्मा बची रही, तो वो ऐसे संतों की वजह से ही हुआ.
प्रदेश में जब से सीएम योगी आदित्यनाथ की की सरकार आई है यहां रिकॉर्ड घरों का निर्माण हो रहा है.
कुछ लोग राजनीतिक फायदा उठाने के लिए महान लोगों पर सियासत करते हैं. संत कबीर दास जी ने समाज को सिर्फ दृष्टि देने का काम ही नहीं किया बल्कि समाज को जागृत किया.
संत कबीर दास जी धूल से उठे थे लेकिन माथे का चन्दन बन गए. वो व्यक्ति से अभिव्यक्ति और इससे आगे बढ़कर शब्द से शब्दब्रह्म हो गए. वो विचार बनकर आए और व्यवहार बनकर अमर हुए.