विस्तृत आर्थिक मोर्चे पर शुक्रवार को मिली-जुली खबर रही. मैन्युफैक्चरिंग व पूंजीगत वस्तुएं क्षेत्र के शानदार प्रदर्शन के दम पर नवंबर, 2017 में जहां औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 17 महीने के उच्चतम स्तर 8.4 प्रतिशत पर पहुंच गई, वहीं दिसंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 5.2 प्रतिशत हो गई. महंगाई दर बढ़ने से रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती की संभावना घटी है. मुद्रास्फीति में लगातार वृद्धि से केंद्रीय बैंक अगले महीने की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रख सकता है. आम बजट 1 फरवरी को पेश होगा और उसके कुछ दिन बाद ही केंद्रीय बैंक की मौद्रिक समीक्षा बैठक है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2016 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत थी. इससे पहले इससे ऊंची वृद्धि जून 2016 में हुई थी जबकि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक सालाना आधार पर 8.9 प्रतिशत बढ़ा था.
आर्थिक मोर्चे पर मिलीजुली खबर
- दवा, चिकित्सकीय रसायन और वनस्पति उत्पादों के विनिर्माण में सर्वाधिक 39.5 प्रतिशत की वृद्धि रही.
- इसके बाद कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक और ऑप्टिकल उत्पादों के विनिर्माण में 29.1 प्रतिशत तथा परिवहन कल-पुर्जों के विनिर्माण में 22.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.
- साल-दर-साल आधार पर, विनिर्माण क्षेत्र में 10.2 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि खनन क्षेत्र में 1.1 फीसदी की मामूली वृद्धि हुई
- पूंजीगत वस्तुओं में नवंबर 2016 के 5.3 प्रतिशत की तुलना में नवंबर 2017 में 9.4 प्रतिशत की तेजी रही.
- टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद क्षेत्र की वृद्धि दर इस दौरान 3.3 प्रतिशत से बढ़कर 23.1 प्रतिशत पर पहुंच गई.
- हालांकि आलोच्य माह के दौरान खनन क्षेत्र की उत्पादन वृद्धि 8.1 प्रतिशत से कम होकर 1.1 प्रतिशत पर आ गई.
- बिजली उत्पादन की वृद्धि भी 9.5 प्रतिशत से कम होकर 3.9 प्रतिशत पर आ गई.
- इस दौरान 23 में से 15 उद्योग समूहों में सालाना आधार पर उत्पादन ऊंचा रहा.
- दूसरी ओर खाद्य वस्तुओं, अंडे और सब्जियों के दाम बढ़ने से दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 5.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है. यह भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से अधिक है.
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में 4.88 प्रतिशत पर थी. दिसंबर, 2016 में यह 3.41 प्रतिशत पर थी. (इनपुट भाषा से)