प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने 67वें जन्मदिन पर नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के 30 दरवाजे खोलेंगे. नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने 17 जून को बांध के 30 दरवाजे बंद किये थे. इसके बाद ये अभी तक बंद थे. एक ओर जहां आज गुजरात में जश्न का माहौल है वहीं पड़ोसी मध्यप्रदेश के कई ज़िलों में मातम पसरा हुआ है. बांध को लेकर मध्य प्रदेश के जिलों में जल सत्याग्रह जारी है. आइये एक नजर इस बांध जुड़ी बड़ी बातें पर डाल लेते हैं:
1980 से हुई थी विरोध की शुरुआत
सरदार पटेल ने नर्मदा नदी पर बांध बनाने की पहल 1945 में की थी. बाद में सरदार सरोवर बांध की नीव भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 5 अप्रैल, 1961 में रखी थी.
बांध की ऊंचाई 138.68 मीटर और लंबाई 1,210 मीटर है. बांध के 30 दरवाजे हैं.
सरदार सरोवर बांध में 4.73 मिलियन क्यूसिक जल संग्रहण की क्षमता है.
बांध पर गुलाबी, सफेद और लाल रंग के 620 एलईडी बल्ब लगाए गए हैं . इनमें से 120 बल्ब बांध के 30 गेट पर लगे हैं. इनसे पैदा होने वाली रोशनी से ओवरफ्लो का आभास होता है. बांध बनाने में 86.20 लाख क्यूबिक मीटर कंक्रीट लगा है. इससे पृथ्वी से चंद्रमा तक सड़क बनाई जा सकती थी.
नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2014 में महज 20 दिन के कार्यकाल में नर्मदा बांध (सरदार सरोवर) की ऊंचाई 121. 92 मीटर से बढ़ाकर 138.72 मीटर (455 फीट) तक किए जाने की अनुमति दी थी. यह कार्य सितंबर 2017 तक पूरा होना था.
सरदार सरोवर बांध को लेकर 1985 में जबरदस्त विरोध हुआ था. सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की अगुवाई में डैम का निर्माण रोकने की कोशिश हुई थी तब से लेकर आज तक विरोध जारी है.
डूब क्षेत्र में आने वाले लोगों के विस्थापन का मुद्दा समय-समय पर उठता रहा है. एक अनुमान के मुताबिक 5 लाख से ज्यादा परिवार विस्थापन की समस्या से जूझ रहे हैं.
बांध का सबसे ज्यादा फायदा गुजरात को मिलेगा. इससे यहां के 15 जिलों के 3137 गांव की 18.45 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई की जा सकेगी.
बिजली का सबसे अधिक 57% हिस्सा मध्य प्रदेश को मिलेगा. महाराष्ट्र को 27% और गुजरात को 16% बिजली मिलेगी .राजस्थान को सिर्फ पानी मिलेगा.
इस परियोजना से 18 लाख हेक्टेयर जमीन को लाभ होगा नर्मदा के पानी से नहरों के जरिए 9,000 गांवों में सिंचाई की जा सकेगी.