सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कावेरी नदी का पानी तमिलनाडु को दिए जाने के विरोध में शुक्रवार को आयोजित बंद की वजह से कर्नाटक पूरी तरह बंद ही हो गया है. स्कूलों और कॉलेजों के अलावा राजधानी बेंगलुरू और अन्य कई शहरों में बहुत-से दफ्तर भी बंद हैं.
जानिए, इस मुद्दे से जुड़ी 10 खास बातें
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू - जो अपनी एक करोड़ की आबादी की पीने के पानी की ज़रूरत के लिए पूरी तरह कावेरी नहीं पर ही निर्भर है - में आईटी इंडस्ट्री ने, जिसमें बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों इन्फोसिस और विप्रो समेत लगभग 400 बहुराष्ट्रीय (मल्टीनेशनल) कंपनियां भी शामिल हैं, ने शुक्रवार को छुट्टी की घोषणा कर दी है. शहर की सड़कें जिस भीड़भाड़ और जबर्दस्त ट्रैफिक के लिए बदनाम हैं, वह शुक्रवार को बिल्कुल नदारद है, लेकिन चौराहों पर विरोध-प्रदर्शन जारी हैं.
सरकारी स्कूल और कॉलेज भी विद्यार्थियों और शिक्षकों को परेशानी से बचाने के लिए बंद रखे गए हैं. हालांकि सरकारी दफ्तर खुले रहेंगे, लेकिन इनमें हाजिरी काफी है, क्योंकि सार्वजनिक यातायात नदारद है.
सुबह के वक्त बेंगलुरू मेट्रो भी नहीं चल रही थी, और शहर की सुनसान पड़ी सड़कों पर एयरपोर्ट टैक्सियां भी नहीं चल रही हैं. स्थानीय टीवी चैनलों ने दिखाया है कि सुबह-सुबह एक ऑटो वाले को इसलिए पीट दिया गया, क्योंकि वह चलाने के लिए ऑटो सड़क पर ले आया था.
सरकार ने कहा है कि अस्पताल तथा दूध की आपूर्ति अप्रभावित रहेगी, लेकिन दवाओं की दुकानों के बंद ही रहने के आसार हैं, तथा बैंकों तथा रेस्तराओं के भी खुलने की संभावना नहीं है. कर्नाटक फिल्म इंडस्ट्री ने भी कहा है कि वे शुक्रवार को काम नहीं करेंगे. कुछ फिल्मस्टार तो फिल्म चैम्बर ऑफ कॉमर्स में विरोध प्रदर्शन भी किया.
लोगों को सलाह दी गई है कि वे तमिलनाडु के रजिस्ट्रेशन नंबर वाले वाहनों में बैठकर कर्नाटक नहीं आएं, क्योंकि प्रदर्शनकारी ऐसे वाहनों को दोनों राज्यों की सीमा पर रोक ले रहे हैं. तमिल चैनलों का प्रसारण भी रोक दिया गया है.
पानी को लेकर विरोध प्रदर्शन सोमवार को कर्नाटक के मांड्या जिले में शुरू हुए थे, जब सुप्रीम कोर्ट ने अगले 10 दिन तक 15,000 क्यूसेक पानी रोज़ तमिलनाडु के लिए छोड़े जाने का आदेश दिया था.
हालांकि विरोध प्रदर्शनों का केंद्र यही जिला है, लेकिन कर्नाटक-समर्थक पार्टियों द्वारा आहूत बंद को पूरे राज्य की आबादी का बड़ा हिस्सा समर्थन दे रहा है.
कर्नाटक का कहना है कि उसके पास पीने या सिंचाई के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं है. राज्य के कावेरी नहीं पर बने चार जल भंडारों में पानी का स्तर भी सामान्य से नीचे चला गया है. किसानों को भी बांधों से पानी नहीं मिल पा रहा था - उनके लिए गुरुवार को ही पानी छोड़ा जाना शुरू किया गया है.
राज्य की कांग्रेस सरकार ने शांति की अपील की है, लेकिन तमिलनाडु को पानी दिए जाने को लेकर राज्य द्वारा दिए जा रहे 'संदेश' से वह नाखुश नहीं है. विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी बंद का समर्थन कर रही है, और उनके नेता भी विरोध प्रदर्शनों में शामिल होंगे.
जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शुक्रवार को मिलने वाले हैं, और वह पीएम के सामने राज्य का पक्ष रखेंगे.