इसरो ने इस सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया.
नई दिल्ली:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने संचार उपग्रह जीसैट 6-A को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. इसरो के GSLV-F08 मिशन के ज़रिए इस सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया. यह उपग्रह मल्टी-बीम कवरेज सुविधा के जरिए भारत को मोबाइल संचार उपलब्ध कराएगा.
इस सैटेलाइट को बनाने में करीब 270 करोड़ रुपयों की आई लागत
- इसरो द्वारा लॉन्च किया गया यह सैटेलाइट एक हाई पावर एस-बैंड संचार उपग्रह है, जो अपनी कैटेगरी में दूसरा है. भारत इससे पहले जीसैट-6 लॉन्च कर चुका है.
- गुरुवार को लॉन्च हुआ यह नया उपग्रह, अगस्त 2015 से धरती की कक्षा में चक्कर लगा रहे GSAT-6 को सपोर्ट देने के लिए भेजा गया है.
- इस नए सैटेलाइट में ज्यादा ताकतवर कम्यूनीकेशन पैनल्स और डिवाससेस लगाई गई हैं. इस सैटेलाइट में लगा 6 मीटर का कॉम्पैक्ट एंटीना धरती पर कहीं से भी सैटेलाइट कॉलिंग को आसान बना देगा.
- इस सैटेलाइट को लॉन्च कर सरकार चाहती है कि देश में छोटे ग्राउंड स्टेशन और हाथ में पकड़े जाने वाले उपकरणों से कॉलिंग करने की सुविधा का विकास किया जा सके.
- जीसैट-6ए सैटेलाइट किसी सामान्य संचार उपग्रह से बहुत खास है. आसान शब्दों में कहें तो जीसैट-6 ए भारत में सैटेलाइट आधारित मोबाइल कॉलिंग और कम्यूनीकेशन को बहुत आसान बनाने में दमदार रोल प्ले करेगा.
- 2000 किलो वजनी इस सैटेलाइट को बनाने में करीब 270 करोड़ रुपयों की लागत आई है.
- जीसैट-6 ए खासतौर पर सेनाओं के बीच दूरस्थ स्थानों से होने वाली कॉलिंग को आसान बनाएगा.
- इसरो के मुताबिक यह सैटेलाइट जनरल संचार सेवाओं के लिए किसी ट्रांसपॉन्डर क्षमता को नहीं बढ़ाएगा, बल्कि यह उपग्रह खास तौर पर रिमोट एरिया में मौजूद सेनाओं की टुकड़ियों के बीच बेहतर संचार प्रणाली विकसित करने में मददगार होगा.
- इसके लिए जीसैट-6ए में लगा 6 मीटर चौड़ा छाते जैसा एंटीना ही रामबाण साबित होगा. इसरो द्वारा आमतौर पर भेजे जाने वाले सैटेलाइट्स में लगे किसी भी एंटीना की तुलना में 6A का एंटीना करीब 3 गुना ज्यादा बड़ा और पावरफुल है.
- छोटे ऐंटीना वाले बाकी किसी भी संचार उपग्रह के द्वारा धरती पर रहते हुए सैटेलाइट कम्यूनीकेशन करने के लिए बड़े ग्राउंड स्टेशन की जरूरत होती है, लेकिन यह GSAT-6A इसी समस्या को हल करके सेनाओं के बीच के संचार को आसान और तेज बना देगा.