सुप्रीम कोर्ट ने छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच की निगरानी के लिए शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए.के.पटनायक की नियुक्ति की है. इस मामले की पूर्ण जांच के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को दो सप्ताह का समय दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक वर्मा की अर्जी पर शुक्रवार को सीबीआई, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) और केंद्र सरकार से जवाब तलब किया. वर्मा ने खुद को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने और सारे अधिकार वापस लिए जाने के सरकार के फैसले को चुनौती दी है. न्यायालय ने निर्देश दिया कि सीबीआई के अंतरिम निदेशक बनाए गए एम. नागेश्वर राव कोई नीतिगत फैसला नहीं करेंगे.
10 बड़ी बातें
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि आलोक वर्मा के ख़िलाफ़ CVC जांच चलेगी और 2 हफ़्ते में जांच पूरी कर रिपोर्ट दे यह जांच पूर्व जज एके पटनायक की निगरानी में होगी और सीवीसी सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट देगी.
अस्थाना की अर्ज़ी हमारे पास नहीं है, इसलिए फ़र्क़ नहीं पड़ता. दिवाली बाद 12 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी.
बीते 23 अक्टूबर से अब तक अंतरिम निदेशक राव की ओर से किए गए निर्णयों पर अमल नहीं होगा और उनके सारे फैसले एक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 नवंबर की तारीख तय की है.
पीठ ने एनजीओ ‘कॉमन कॉज' की अर्जी पर भी नोटिस जारी किया है. एनजीओ ने सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी जांच कराने की मांग की है.
एनजीओ की ओर से दायर अर्जी में सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को भी प्रतिवादी बनाया गया है. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील फली एस. नरीमन ने सीबीआई प्रमुख वर्मा की तरफ से दलीलें पेश कीं.
नरीमन ने कहा कि वर्मा को प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और प्रधान न्यायाधीश की सदस्यता वाली चयन समिति की मंजूरी से सीबीआई निदेशक नियुक्त किया गया था.
उन्होंने वर्मा से सारे अधिकार वापस लेने के सीवीसी और केंद्र के आदेश का भी जिक्र किया. वर्मा के पक्ष में दलीलें देने के लिए वरिष्ठ वकील ने विनीत नारायण मामले में उच्चतम न्यायालय की ओर से दिए गए फैसले का भी हवाला दिया.
शुरुआत में न्यायालय ने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप पर सीवीसी की जांच इस अदालत की निगरानी में 10 दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए. इस पर सीवीसी ने कहा कि जांच के लिए 10 दिन का वक्त पर्याप्त नहीं है. क्योंकि उसे बहुत सारे दस्तावेज खंगालने होंगे.
सीवीसी ने कहा कि कुछ समय तक किसी को निगरानी की अनुमति नहीं दी जाए. पीठ ने सीवीसी को जांच पूरी करने के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया. वर्मा ने खुद को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने और 1986 बैच के ओडिशा कॉडर के आईपीएस अधिकारी राव को सीबीआई निदेशक पद का प्रभार दिए जाने के केंद्र के आदेश पर रोक लगाने की भी मांग की है.