नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद बंद किए गए 500 और 1,000 रुपये के नोटों का 99.3 प्रतिशत बैंको के पास वापस आ गया है. रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. नोटबंदी के समय मूल्य के हिसाब से 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं. रिजर्व बैंक की इस रिपोर्ट के बाद विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर जारी एक पोस्ट में सवाल किया है, "मेरा पहला सवाल आज यह है कि काला धन कहां गया?..मेरा दूसरा सवाल यह है कि क्या यह योजना इसलिए लाई गई थी कि काला धन रखने वाले अपने काले धन को गुपचुप सफेद धन में परिवर्तित कर लें?" वहीं कांग्रेस ने कहा है कि आरबीआई की रपट ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि नोटबंदी एक भयानक आपदा थी. इसके साथ ही कांग्रेस ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर झूठ बोलने के लिए माफी मांगेंगे? इस पर बीजेपी और आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग ने मोर्चा संभाला है और बताया है कि आखिर नोटबंदी से क्या फायदे हुए हैं.
5 बातें
- बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस नोटबंदी के मुद्दे पर देश को ‘भ्रमित’ कर रही है। उन्होंने दावा किया कि इस कदम से बैंकों में काला धन जमा हुआ, आयकर संग्रह में वृद्धि हुई, मुखौटा कंपनियों पर कार्रवाई की गई और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिला.
- बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि नवम्बर 2016 में की गई नोटबंदी के कारण काले धन का पता मिला और सरकार को 18 लाख से अधिक संदिग्ध बैंक खातों को जांच के तहत लाने के लिए प्रेरित किया.
- 3- 2.09 लाख से अधिक आयकर नहीं भरने वाले लोगों ने अपनी रिटर्न दाखिल की और कर संग्रह में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई. पांच लाख से अधिक मुखौटा कंपनियां बंद हो गईं.
- आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग ने कहा कि नोटबंदी से कालाधन पर अंकुश, आतंकवादियों को वित्त पोषण, डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना तथा नकली नोट को समाप्त जैसे मकसद पूरे हुए हैं.
- उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘मुझे लगता है कि नोटबंदी ने अपने उद्देश्य को व्यापक रूप से काफी हद तक हासिल किया है.’ सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि देश में अब कहीं भी नकदी की कमी नहीं है.