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नई दिल्ली:
कुछ समूहों द्वारा नौकरियों और शिक्षा में जाति आधारित आरक्षण के खिलाफ आज किये गए भारत बंद के आह्वान के मद्देनजर सुरक्षा चाक चौबंद करने और हिंसा रोकने के लिये केंद्र ने सभी राज्यों के लिये परामर्श जारी किया है. गृह मंत्रालय ने कहा कि अपने इलाके में होने वाली किसी भी हिंसा के लिये जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे. करीब एक हफ्ते पहले हुये ऐसे ही एक प्रदर्शन के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में हुई व्यापक हिंसा के एक हफ्ते बाद यह संदेश आया है. इस हिंसा में एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
10 बातें
- राज्यों को सुरक्षा-व्यवस्था मजबूत करने और जरूरत पड़ने पर निषेधाज्ञा जारी करने सहित किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए उचित व्यवस्था करने की सलाह दी गई है.
- गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि किसी तरह के जान-माल के नुकसान को रोकने के लिए राज्यों को सभी संवेदनशील इलाकों में गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं.
- भोपाल के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) धमेन्द्र चौधरी ने कहा कि मंगलवार के बंद को देखते हुए पुलिस सोशल मीडिया के संदेशों पर विशेष ध्यान दे रही है. उन्होंने कहा, ‘‘सोशल मीडिया पर नफरत भरे संदेशों को फैलाने वाले लोगों की खिलाफ भादवि की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जायेगी.’’ भोपाल के संभाग आयुक्त अजातशत्रु ने संवाददाताओं से कहा कि मंगलवार को भोपाल में एहतियात के तौर पर धारा 144 लागू की गयी है। लेकिन स्कूल, सरकारी कार्यालय और बैंक सामान्य दिनों की तरह काम करते रहेंगे. बंद को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था सख्त रहेगी. हालांकि यहां भी कोई संगठन बंद के समर्थन में आगे नहीं आया है.
- जयपुर के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) एन आर के रेड्डी ने बताया कि बंद के आह्वान को देखते हुए जयपुर शहर में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई है. उन्होंने बताया कि आज रात से अगले 24 घंटों के लिये जयपुर में इंटरनेट सेवाओं को बंद किया गया है. उन्होंने बताया कि किसी ने भी इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है, इसलिये यह संभव है कि कोई भी असामाजिक तत्व शांति भंग कर सकता है, ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी चाहे वह किसी भी जाति, संगठन, या किसी भी समाज से संबंध रखता हो.
- इस बीच, केरल में 30 दलित संगठनों द्वारा बंद का आह्वान किए जाने के बाद सोमवार को राज्य में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ.
- यह बंद अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अधिनियम को कमजोर करने के खिलाफ आहूत किया गया है.
- ट्रेड यूनियनों द्वारा देशभर में बुलाए गए बंद के चलते दो अप्रैल को भी राज्य में ऐसे ही बंद का असर देखने को मिला था.
- सरकारी स्वामित्व वाले सड़क परिवहन निगम, निजी बस संचालकों और व्यापार निकाय ने इससे पहले ऐलान किया था कि परिवहन और कामकाज सामान्य रहेगा, लेकिन कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने बसों की आवाजाही रोकने के लिए सड़कें अवरुद्ध कर दी.
- दुकानों, खासकर कन्नूर जिले की दुकानों को बंद रखने के लिए कहा गया. कोल्लम में सरकारी बसों पर पत्थर फेंके गए. विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया है.
- सर्वोच्च न्यायालय ने तीन अप्रैल को अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसके बारे में कार्यकताओं का कहना है कि यह दलित और अनुसूचित जनजाति को संरक्षण प्रदान करने वाले कानून को कमजोर करता है.