केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों में पीएम मोदी की कोई भूमिका नहीं होने से संबंधित एसआईटी की रिपोर्ट को बरकरार रखा है. जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने एसआईटी की रिपोर्ट को सही बताया और घटना के पीछे किसी बड़ी साजिश की बात को नकार दिया. कोर्ट के फैसले के बाद शनिवार को देश के गृह मंत्री अमित शाह सामने आए और अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान जहां पीएम मोदी की तरफदारी की. वहीं, केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार पर पीएम मोदी (तत्कालीन गुजरात सीएम) को बदनाम करने का आरोप लगाया.
अमित शाह ने कही ये पांच बड़ी बातें -
- गृह मंत्री ने कहा, " दंगा होने का मुख्य कारण गोधरा की ट्रेन को जला देना था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रेन में आग लगने के बाद की घटनाएं पूर्व नियोजित नहीं बल्कि स्वप्रेरित थीं. साथ ही तहलका द्वारा स्टिंग ऑपरेशन को भी खारिज कर दिया क्योंकि इसके आगे-पीछे का जब फुटेज आया तब पता चला कि ये स्टिंग राजनीतिक उद्देश्य से किया गया था. सालों बाद आज जब अंत में सत्य सोने की तरह चमकता हुआ आ रहा है, तो अब आनंद आ रहा है. मैंने पीएम मोदी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी तो सब कुछ सत्य होने के बावजूद भी वे कुछ नहीं बोल रहे थे. बहुत मजबूत मन का आदमी ही ये स्टैंड ले सकता है."
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, " सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों को खारिज किया है. आप कह सकतें हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने ये सिद्ध कर दिया है कि सभी आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित थे. 18-19 साल की लड़ाई के दौरान देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बोले बगैर सभी दुखों को भगवान शंकर की विषपान की तरह गले में उतारकर सहन कर लड़ता रहा. मैंने पीएम मोदी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है."
- गृह मंत्री ने कहा, " जिन लोगों ने पीएम मोदी पर आरोप लगाए थे अगर उनकी अंतरात्मा है तो उन्हें पीएम मोदी और बीजेपी नेता से माफी मांगनी चाहिए. पीएम मोदी से भी पूछताछ हुई थी, लेकिन तब किसी ने धरना-प्रदर्शन नहीं किया था और हमने कानून को सहयोग दिया. मेरी भी गिरफ़्तारी हुई थी लेकिन कोई भी धरना-प्रदर्शन नहीं हुआ था." गुजरात दंगों में सेना को नहीं बुलाने के सवाल पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली में सेना का मुख्यालय है. जब इतने सारे सिख भाइयों को मार दिया गया. 3 दिन तक कुछ नहीं हुआ. कितनी SIT बनी. हमारी सरकार आने के बाद SIT बनी. ये लोग हम पर आरोप लगा रहे हैं सब कुछ (स्थिति को नियंत्रित करने के लिए) किया गया था, इसे नियंत्रित करने में समय लगता है. गिल साहब (पूर्व पंजाब DGP, दिवंगत केपीएस गिल) ने कहा था कि उन्होंने कभी भी इससे ज्यादा तटस्थ और त्वरित कार्रवाई अपने जीवन में नहीं देखी, फिर भी उन पर आरोप लगाए गए.
- अमित शाह ने कहा, " जहां तक गुजरात सरकार का सवाल है हमने कोई लेटलतीफी नहीं की, जिस दिन गुजरात बंद का एलान हुआ था उसी दिन हमने सेना को बुला लिया था. गुजरात सरकार ने एक दिन की भी देरी नहीं की थी और कोर्ट ने भी इसका प्रोत्साहन किया है. लेकिन BJP विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ विचारधारा के लिए राजनीति में आए पत्रकार और NGO ने मिलकर आरोपों का इतना प्रचार किया और इसका इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि लोग इनको ही सत्य मानने लगे." पीएम मोदी SIT के सामने कोई नाटक करते हुए नहीं गए थे कि मेरे समर्थन में आओ और धरना दो. हमारा मानना था कि हमें कानूनी प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए. अगर SIT सीएम से सवाल करना चाहती है तो सीएम खुद सहयोग करने को तैयार है तो फिर आंदोलन किस चीज का? गुजरात में हमारी सरकारी थी लेकिन यूपीए की सरकार ने NGO की मदद की है. सब जानते हैं कि ये केवल पीएम मोदी की छवि खराब करने के लिए किया गया था."
- अमित शाह ने कहा, " आज सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि जाकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थीं. एनजीओ ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए और उन्हें पता भी नहीं है. सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ की NGO ये सब कर रही थी और उस समय की आई यूपीए की सरकार ने NGO की बहुत मदद की है. दंगा होने का मुख्य कारण गोधरा की ट्रेन को जला देना था. 16 दिन की बच्ची को उसकी मां की गोद में बैठे जिंदा जलते हुए मैंने देखा है और मेरे हाथ से मैंने अंतिम संस्कार किया है."