नोटबंदी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश की 10 खास बातें...

नोटबंदी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश की 10 खास बातें...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए साल पर राष्ट्र के नाम संदेश देते हुए...

नई दिल्ली: टीवी पर प्रसारित राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी को लेकर उनके और उनकी सरकार के साथ सहयोग करने के लिए देश की जनता का धन्यवाद किया. उन्होंने इस अवसर पर किसानों और गरीबों के लिए कई योजनाओं की भी घोषणा की. प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की वजह से हुई नकदी की किल्लत से हुई कठिनाइयों को झेलने के लिए देशवासियों की तारीफ की, और कहा कि नए साल में उनका ध्यान बैंकों के कामकाज को, खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में, जल्द से जल्द सामान्य करने पर रहेगा. आइए, पढ़ते हैं उनके भाषण की 10 खास बातें...

नोटबंदी पर पीएम के भाषण की 10 खास बातें...

  1. दीवाली के तुरंत बाद हमारा देश नोटबंदी के रूप में ऐतिहासिक शुद्धि यज्ञ का गवाह बना, नए साल में हमारा ज़ोर बैंकिंग को सामान्य करने पर रहेगा.

  2. साफ है कि करोड़ों भारतीय भ्रष्टाचारमुक्त होने के लिए बेकरार थे, लेकिन इससे पहले उन्हें ऐसा करने का अवसर नही मिल पाया था.

  3. भारत ने नोटबंदी के ज़रिये के दुनियाभर के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है.

  4. भारतीयों ने नकदी संकट के रूप में आए कष्ट को जिस जज़्बे और अनुशासन के साथ सहा, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण बनेगा.

  5. यह भारत के इतिहास में पहला मौका है, जब सरकार और जनता कंधे से कंधा मिलाकर लड़े हैं. मुझे हज़ारों की तादाद में खत मिले - उनमें दर्द बांटा गया है, इरादों को मजबूत किया है.

  6. सरकार की प्राथमिकता ईमानदारों को मदद और सुरक्षा प्रदान करने की है.

  7. इतने कम समय में इतना धन बैंकों के पास कभी नहीं आया. मैं बैंकों से अपील करता हूं कि वे गरीबों, निम्न मध्यम वर्ग तथा वंचित वर्गों को प्राथमिकता देकर काम करें.

  8. इस बात से आपको या तो हंसी आएगी या बहुत गुस्सा आएगा. सिर्फ 24 लाख लोग स्वीकार करते हैं कि वे साल में 10 लाख रुपये से ज़्यादा कमाते हैं, जबकि आपको बहुत-सी बड़ी कारें, हर शहर में बड़े-बड़े घर दिखाई देते हैं. क्या भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई को मजबूत नहीं किया जाना चाहिए...?

  9. जब भ्रष्टाचार और काले धन की बात होती है, राजनैतिक दलों की फंडिंग उस चर्चा में ज़रूर शामिल होती है. समय आ गया है कि सभी राजनेता लोगों के गुस्से को समझें. राजनेताओं को 'मैं तुमसे ज़्यादा पवित्र' वाली सोच को छोड़ना ही होगा, और उन्हें राजनैतिक व्यवस्था को सुधारने के लिए काम करना होगा.

  10. अर्थशास्त्री तो दीवाली के बाद की घटनाओं की समीक्षा करेंगे ही, लेकिन यह भी बेहद अहम है कि सभी ऐसा करें.