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योगिनी एकादशी का व्रत होता है बहुत फलदायी, 88 हजार ब्राह्मणों को भोज कराने के बराबर मिलता है पुण्य! जून की इस तारीख को रखा जाएगा उपवास

विष्णु पुराण और पद्म पुराण के अनुसार, योगिनी एकादशी व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल की प्राप्ति होती है. ऐसे में आइए जानते हैं एकादशी का व्रत आषाढ़ मास में कब है और इसकी पूजा विधि क्या है...

योगिनी एकादशी का व्रत होता है बहुत फलदायी, 88 हजार ब्राह्मणों को भोज कराने के बराबर मिलता है पुण्य! जून की इस तारीख को रखा जाएगा उपवास
एक बात का ध्यान रखें इस दिन अन्न का सेवन न करें.

Yogini Ekadashi vrat 2025 : हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करना और व्रत रखना बहुत फलदायी होता है. आपको बता दें कि महीने में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष. इस दिन सच्चे मन से भगवान की भक्ति करने से सारी मुरादें पूरी होती हैं. जून माह में कृष्ण पक्ष को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा. विष्णु पुराण और पद्म पुराण के अनुसार, योगिनी एकादशी व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल की प्राप्ति होती है. ऐसे में आइए जानते हैं एकादशी का व्रत आषाढ़ मास में कब है और इसकी पूजा विधि क्या है...

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कब है योगिनी एकादशी 2025 - When is Yogini Ekadashi 2025

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून को सुबह 7 बजकर 19 मिनट से शुरू होगी और 22 जून को सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर समाप्त. उदयातिथि के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत 21 जून 2025 को रखा जाएगा.

वहीं, योगिनी एकादशी का पारण 22 जून को होगा, जिसका शुभ मुहूर्त 22 जून को दोपहर 1 बजकर 47 मिनट से शाम 4 बजकर 35 मिनट के बीच है.इस दिन हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 9 बजकर 41 मिनट है.

योगिनी एकादशी पूजा विधि - yogini ekadashi puja method

इस दिन आप ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं. फिर स्नान करके पीले रंग का स्वच्छ वस्त्र धारण कर लीजिए.इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लीजिए.

फिर आप विधि-विधान के साथ योगिनी एकादशी की पूजा-अर्चना करें. अंत में आप विष्णु जी की आरती करिए. इस दिन आप जरूरतमंद लोगों को भोजन कराइए और दान दक्षिणा दीजिए. 

इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. साथ ही पूजा के दौरान ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥ विष्णु गायत्री मंत्र और मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः। मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥ विष्णु मंगल मंत्र का जाप करें. 

एक बात का ध्यान रखें इस दिन अन्न का सेवन न करें. व्रत के एक दिन पहले चावल का सेवन करने से बचिए. वहीं, व्रत के दिन बाल, नाखून और दाढ़ी कटवाने की भूल न करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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