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This Article is From Mar 03, 2020

यामी गौतम ने किए कामाख्‍या देवी के दर्शन, 51 शक्ति पीठों में से एक है ये मंदिर

यामी गौतम (Yami Gautam) ने अपनी जिस तस्वीर को साझा किया है, इसमें वह दर्शन कर कार से वापस लौटती नजर आ रही हैं.

यामी गौतम ने किए कामाख्‍या देवी के दर्शन, 51 शक्ति पीठों में से एक है ये मंदिर
कामाख्‍या मंदिर के दर्शन कर यामी गौतम काफी खुश नजर आईं
नई दिल्ली:

बॉलीवुड सितारें अकसर अपनी व्यस्त दिनचर्या में से कुछ वक्त निकालकर भगवान की शरण में जरूर पहुंचते हैं और इसकी कुछ झलकियां वे अपने प्रशंसकों संग साझा भी करते हैं. इस बार अभिनेत्री यामी गौतम (Yami Gautam) भी कुछ ऐसा ही करती नजर आईं. 

यह भी पढ़ें: जानिए कामाख्या मंदिर की पूरी कहानी

यामी हाल ही में असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या देवी (Kamakhya Devi) के मंदिर में दर्शन करती नजर आईं. उन्होंने इस अपने सफर की एक तस्वीर भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर साझा की, जिसके साथ कैप्शन में उन्होंने लिखा, "कामाख्या देवी के मंदिर में बहुत ही अच्छा दर्शन किया. यह प्राचीन 51 शक्ति पीठों में से एक है. मंदिर में गजब की सकारात्मक ऊर्जा है, जिससे आप भी काफी हद तक ऊर्जावान हो जाते हैं, लेकिन इतने के बाद भी मन में शांति बनी रहती है."

यामी ने अपनी जिस तस्वीर को साझा किया है, इसमें वह दर्शन कर कार से वापस लौटती नजर आ रही हैं. बैंगनी रंग के सलवार सूट पहने और माथे पर तिलक लगाए यामी इसमें बेहद ही अलग व खूबसूरत नजर आ रही हैं.

आपको बता दें कि असम के गुवाहाटी से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित है देवी सती का कामाख्या मंदिर. इस मंदिर को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. लेकिन 51 शक्तिपीठों में से सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाला यह मंदिर रजस्वला माता की वजह से ज़्यादा ध्यान आकर्षित करता है. यहां चट्टान के रूप में बनी योनि से रक्त निकलता है. 

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इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है, यहां पर देवी के योनि भाग की ही पूजा की जाती है. मंदिर में एक कुंड सा है, जो हमेशा फूलों से ढका रहता है. इस जगह के पास में ही एक मंदिर है जहां पर देवी की मूर्ति स्थापित है. यह पीठ माता के सभी पीठों में से महापीठ माना जाता है. इस पीठ के बारे में एक बहुत ही रोचक कथा प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि इस जगह पर मां का योनि भाग गिरा था, जिस वजह से यहां पर माता हर साल तीन दिनों के लिए रजस्वला होती हैं. इस दौरान मंदिर को बंद कर दिया जाता है. तीन दिनों के बाद मंदिर को खोल जाता है.

यहां पर भक्तों को प्रसाद के रूप में एक गीला कपड़ा दिया जाता है, जिसे अम्बुवाची वस्त्र कहते हैं.

इनपुट: आईएएनएस

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