
हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले लोग अकसर हवन करवाते हैं. हवन के दौरान लोग आहुति देते हुए 'स्वाहा' शब्द का उच्चारण करते हैं. लेकिन यह कम ही लोग जानते हैं कि स्वाहा शब्द क्यों बोला जाता है.
दरअसल स्वाहा का निर्धारित नैरुक्तिक अर्थ होता है - सही रीति से पहुंचाना. पंडित विवेक गैरोला ने बताया कि देवताओं के आह्वान के लिए 'स्वाहा' शब्द उच्चारित करते हुए हवन सामग्री का भोग अग्नि के जरिए देवताओं को पहुंचाया जाता है. कोई भी यज्ञ तक तक सफल नहीं माना जा सकता है जब तक कि हविष्य का ग्रहण देवता न कर लें, पर देवता ऐसा हविष्य तभी स्वीकार करते हैं जबकि अग्नि के द्वारा स्वाहा के माध्यम से अपर्ण किया जाए. पौराणिक कथा के मुताबिक स्वाहा अग्निदेव की पत्नी हैं. ऐसे में स्वाहा का उच्चारण कर निर्धारित हवन सामग्री का भोग अग्नि के माध्यम से देवताओं को पहुंचाते हैं.
आहुति के नियमों का करें पालन
यह अनुष्ठान की आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण क्रिया है. आहुति देते समय अपने सीधे हाथ के मध्यमा और अनामिक उंगलियों पर सामग्री लें और अंगूठे का सहारा लेकर मृगी मुद्रा से उसे प्रज्वलित अग्नि में ही छोड़ा जाए. आहुति हमेशा झुक कर डालाना चाहिए, वह भी इस तरह कि पूरी आहुति अग्नि में ही गिरे.
दरअसल स्वाहा का निर्धारित नैरुक्तिक अर्थ होता है - सही रीति से पहुंचाना. पंडित विवेक गैरोला ने बताया कि देवताओं के आह्वान के लिए 'स्वाहा' शब्द उच्चारित करते हुए हवन सामग्री का भोग अग्नि के जरिए देवताओं को पहुंचाया जाता है. कोई भी यज्ञ तक तक सफल नहीं माना जा सकता है जब तक कि हविष्य का ग्रहण देवता न कर लें, पर देवता ऐसा हविष्य तभी स्वीकार करते हैं जबकि अग्नि के द्वारा स्वाहा के माध्यम से अपर्ण किया जाए. पौराणिक कथा के मुताबिक स्वाहा अग्निदेव की पत्नी हैं. ऐसे में स्वाहा का उच्चारण कर निर्धारित हवन सामग्री का भोग अग्नि के माध्यम से देवताओं को पहुंचाते हैं.
आहुति के नियमों का करें पालन
यह अनुष्ठान की आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण क्रिया है. आहुति देते समय अपने सीधे हाथ के मध्यमा और अनामिक उंगलियों पर सामग्री लें और अंगूठे का सहारा लेकर मृगी मुद्रा से उसे प्रज्वलित अग्नि में ही छोड़ा जाए. आहुति हमेशा झुक कर डालाना चाहिए, वह भी इस तरह कि पूरी आहुति अग्नि में ही गिरे.