आज महावीर जयंती है.ये जैन धर्म का प्रमुख त्योहार है. जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर या वर्धमान महावीर की जयंती हर साल दुनिया भर में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है. अहिंसा, त्याग और तपस्या का संदेश देने वाले महावीर की जयंती ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च या अप्रैल महीने में मनाई जाती है. वहीं, हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के 13वें दिन महावीर ने जन्म लिया था. जैन धर्म के अनुयायियों के लिए महावीर जयंती का विशेष महत्व है.
T 3885 - Greetings on the auspicious occasion of Mahavir Jayanti. May this day bring a new dawn, a better tomorrow filled with happiness, good health, and strength to face all circumstances.
— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) April 24, 2021
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आपको बता दें, हिंसा, पशुबलि, जात-पात का भेद-भाव जिस युग में बढ़ गया, उसी युग में भगवान महावीर (Swami Mahavir) का जन्म हुआ. उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया. महावीर ने अहिंसा को सर्वोपरि बताया और जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत दिए. इनमें अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय और ब्रह्म्चर्य शामिल हैं.
महावीर जयंती को महावीर स्वामी जन्म कल्याणक के नाम से भी जाना जाता है. महावीर जयंती के दिन जैन मंदिरों में महावीर की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है. इसके बाद मूर्ति को एक रथ पर बिठाकर जुलूस निकाला जाता है. इस यात्रा में जैन धर्म के अनुयायी बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं.
कौन हैं वर्धमान महावीर?
महावीर के जन्मदिवस को लेकर मतभेद है. श्वेतांबर जैनियों का मानना है कि उनका जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था, वहीं दिगंबर जैनियों का मत है कि उनके आराध्य 615 ईसा पूर्व में प्रकट हुए थे. जैन मान्यताओं के अनुसार उनका जन्म बिहार के कुंडलपुर के शाही परिवार में हुआ था. बचपन में महावीर का नाम 'वर्धमान' था. माना जाता है कि वे बचपन से ही साहसी, तेजस्वी और अत्यंत बलशाली थे और इस वजह से लोग उन्हें महावीर कहने लगे. उन्होंने अपनी इन्द्रियों को जीत लिया था, इसलिए इन्हें 'जीतेंद्र' भी कहा जाता है. महावीर की माता का नाम 'त्रिशला देवी' और पिता का नाम 'सिद्धार्थ' था. महावीर ने कलिंग के राजा की बेटी यशोदा से शादी भी की लेकिन 30 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया.
यहां पढ़ें भगवान महावीर के अनमोल वचन
1. किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है , और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है.
2. शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है.
3. प्रत्येक जीव स्वतंत्र है. कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता.
4. भगवान का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है. हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्त्व प्राप्त कर सकता है.
5. प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता.
6. सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है.
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