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Sankalp Before Pooja: किसी भी पूजा या व्रत को करने के साथ ही क्यों लिया जाता है संकल्प, ये है वजह

मान्यता होती है कि उस पूजन का पूरा फल चाहिए तो बताए गए नियमों का पूरी तरह से पालन भी किया जाए. इसलिए बहुत से लोग ये मानते हैं कि किसी भी पूजा पाठ को शुरू करने से पहले ही संकल्प लिया जाना चाहिए.

Sankalp Before Pooja: किसी भी पूजा या व्रत को करने के साथ ही क्यों लिया जाता है संकल्प, ये है वजह
पूजन या व्रत से पहले संकल्प लेने का तरीका जानने से पहले ये जान लीजिए कि संकल्प लिया क्यों जाता है.

Sankalp Before Pooja: जो लोग नए साल का जश्न मनाते हैं और साल की शुरुआत के साथ ही कोई रिजॉल्यूशन भी लेते हैं. वो लोग खूब जानते हैं कि संकल्प क्या होता है. जिसे नए जमाने में नए साल के साथ रिजॉल्यूशन बोलकर लिया जाता है. वो असल में हिंदू धर्म का संकल्प ही होता है. जिसकी परंपरा बेहद पुरानी है. कोई भी पूजन करने से पहले या फिर व्रत रखना शुरू करने से पहले संकल्प लिया जाता है. और, उसे कार्य पूर्ण होने तक पूरी आस्था और भक्ति के साथ निभाया भी जाता है. यूं भी हर पूजा पाठ का अपना एक अलग नियम होता है. ये मान्यता होती है कि उस पूजन का पूरा फल चाहिए तो बताए गए नियमों का पूरी तरह से पालन भी किया जाए. इसलिए बहुत से लोग ये मानते हैं कि किसी भी पूजा पाठ को शुरू करने से पहले ही संकल्प लिया जाना चाहिए.

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पूजा से पहले क्यों लिया जाता है संकल्प?  Sankalp Before Pooja And Vrat

कब लिया जाता है संकल्प?

अगर आपने कोई खास पूजा कराने का मन बनाया है या फिर कोई व्रत रखना शुरू करने वाले हैं. तो उस पूजन या व्रत से पहले ही कोई भी संकल्प लिया जाता है. जो भी जजमान पूजन करने बैठता है या पंडित को पूजा कराने का न्योता देता है उसी वक्त संकल्प ले सकता है. व्रत करना शुरू करने से पहले यानी व्रत के पहले दिन, पहले पूजन के समय या फिर व्रत करने का मन बनाते समय भी संकल्प लिया जाता है. हालांकि संकल्प लेने का भी एक सही तरीका होता है.

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क्या होता संकल्प?

पूजन या व्रत से पहले संकल्प लेने का तरीका जानने से पहले ये जान लीजिए कि संकल्प लिया क्यों जाता है. संकल्प किसी भी भक्त की दृढ़ इच्छा शक्ति का प्रतीक होता है. अक्सर ये कहा जाता है कि भगवान का कार्य आसान नहीं होता है. उसी दिशा में ये मान्यता होती है कि कोई भी पूजन या व्रत करने से पहले भक्त को ये जाहिर करना चाहिए कि वो कठिन तप करने से पीछे हटने वाला नहीं है. पूजा करते समय या व्रत करते समय वो मन ही मन ये प्रतिज्ञा भी करते हैं कि पूजन या व्रत के लिए उन्होंने जो भी संकल्प लिया है वो उसे पूरी आस्था और भक्ति के साथ पूर्ण भी करेंगे.

संकल्प लेने का सही तरीका

वैसे तो संकल्प लेने के लिए मन में दृढ़ प्रतिज्ञ होना ही काफी होता है. फिर भी पूजा पाठ करते समय विधि विधान के साथ संकल्प लेना अच्छा माना जाता है. कुछ जानकार संकल्प लेने की खास विधि भी बताते हैं. इस विधि के अनुसार संकल्प लेने से पहले हाथों को स्वच्छ करके जल लेना चाहिए. जिस हथेली में जल लिया है, उसी हथेली में अक्षत और फूल भी लें. अब सबसे पहले संकल्प लेने वाले को भगवान गणेश का ध्यान करना चाहिए. भगवान गणेश ही ऐसे भगवान माने जाते हैं जिनका पूजन किसी भी पूजा में सबसे पहले होता है. साथ ही वो पंचभूत के अधिपति भी माने जाते हैं. पंचभूत का अर्थ है अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश. भगवान गणेश इनके अधिपति होने के साथ साथ प्रथम पूज्य भी हैं. इसलिए पूजन या व्रत किसी भी देवी या देवता का हो संकल्प लेने के लिए सर्वप्रथम भगवान गणेश का स्मरण ही किया जाता है. भगवान गणेश के स्मरण के बाद जो भी संकल्प है वो लिया जाता है.

इंद्र देव को जाता है फल

ऐसा माना जाता है कि बिना संकल्प अगर कोई पूजन या व्रत होता है तो उसका फल पूरा नहीं मिलता. वो पूजन भी अधूरा ही माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि अगर बिना संकल्प के पूजन या व्रत किया जाए तो उसका पूरा फल भगवान इंद्र को मिलता है. इसलिए विशेष पूजा अनुष्ठान के समय संकल्प लेना अच्छा होता है. हो सकते तो रोज के पूजन के समय भी संकल्प लेना चाहिए.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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