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भगवान विष्णु को क्यों प्रिय है तुलसी, क्यों बिना तुलसी के श्री हरि की पूजा मानी जाती है अधूरी, बता रही हैं एस्ट्रोलॉजर अलकनंदा शर्मा

बिना तुलसी के श्रीहरि प्रसाद ग्रहण नहीं करते हैं. आज इसी के बारे में आर्टिकल में आगे बता रही हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अलकनंदा आखिर तुलसी की पत्ति जगत के पालनहार को क्यों पसंद है.

भगवान विष्णु को क्यों प्रिय है तुलसी, क्यों बिना तुलसी के श्री हरि की पूजा मानी जाती है अधूरी, बता रही हैं एस्ट्रोलॉजर अलकनंदा शर्मा
पंचतत्व में आकाश तत्व के स्वामी भगवान विष्णु को माना गया है.

Bhagwan vishnu and devi tulsi relation : हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व होता है. माना जाता है इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में बरकत और सुख-शांति बनी रहती है. यही कारण है इसका पौधा लगभग हर घर में आपको मिल जाएगा बालकनी या फिर आंगन में. वहीं, भगवान विष्णु के प्रसाद में इसकी विशेष भूमिका होती है. बिना तुलसी के श्रीहरि प्रसाद ग्रहण नहीं करते हैं. आज इसी के बारे में आर्टिकल में आगे बता रही हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अलकनंदा आखिर तुलसी की पत्ति जगत के पालनहार को क्यों पसंद है.

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क्यों चढ़ाते हैं भगवान विष्णु को तुलसी

पंचतत्व में आकाश तत्व के स्वामी भगवान विष्णु को माना गया है. अग्नि तत्व की स्वामिनी देवी दुर्गा हैं और पृथ्वी तत्व के भगवान शिव. आकाश व अग्नि तत्व के मिलन से वायु तत्व बनता है जिसके स्वामी सूर्य हैं, उसी प्रकार अग्नि तत्व व पृथ्वी तत्व के संयोग से जल तत्व जिसके स्वामी गणेश जी हैं. इस प्रकार विष्णु को सत्त गुण, दुर्गा को रजोगुण और शिव को तमोगुण का अधिष्ठाता माना गया है. इसी आधार से तुलसी में सतोगुण की अधिकता है, तुलसी न केवल पवित्र वनस्पति है, बल्कि उसमें सतो गुण अत्यधिक होता है. 

यह वातावरण को शुद्ध करती है, रोगों से बचाती है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है. यही कारण है कि यह विष्णु पूजन में आवश्यक मानी गई है. भगवान विष्णु को अन्न, फल, या कोई भी भोग तुलसी दल के बिना अर्पित किया जाए, तो वह उसे स्वीकार नहीं करते. तुलसी दल केवल भोग को पवित्र नहीं बनाता, वह विष्णु प्रेम की अभिव्यक्ति भी है. मरणासन्न अवस्था में भी व्यक्ति को तुलसी दल दिया जाता है कारण यह माना जाता है कि व्यक्ति की आत्मा का वास वैकुंठ में प्राप्त हो.स्कंद पुराण, पद्म पुराण और ब्रह्म वैवर्त पुराण में वर्णित है कि तुलसी जी को भगवान विष्णु की अर्धांगिनी कहा गया है. वह पृथ्वी पर लक्ष्मी जी के रूप में जन्मी थीं. अतः जब हम तुलसी से पूजन करते हैं, तब वास्तव में लक्ष्मी नारायण दोनों की आराधना होती है.

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