विज्ञापन
This Article is From May 16, 2016

मगरमच्छ ही क्यों है देवी गंगा का वाहन, जानिए इस पवित्र नदी से जुड़ी कुछ ख़ास और रोचक बातें

मगरमच्छ ही क्यों है देवी गंगा का वाहन, जानिए इस पवित्र नदी से जुड़ी कुछ ख़ास और रोचक बातें

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, गंगा सबसे पवित्रतम नदी है। शास्त्रों में इसे पतितपावनी अर्थात लोगों के पाप को धोने वाली नदी कहकर प्रशंसा की गई है और इसका महत्व बताया गया है।

वर्तमान में यह नदी गंभीर प्रदूषण का शिकार है। लेकिन आज यह नदी चाहे जितनी भी प्रदूषित हो गई, लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं आयी है। आइए जानते हैं, इस नदी के जुडी कुछ मान्यताएं और रोचक धार्मिक बातें।

राजा सगर के पुत्रों का तर्पण के लिए धरती पर आई गंगा...
हिन्दू पंचांग में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा सप्तमी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस तिथि को गंगा स्वर्ग से शिव की जटाओं में अवतरित हुई थी। यही कारण है कि इस दिन को गंगा सप्तमी कहते हैं, जिसे गंगा जन्मोत्सव के नाम से भी पुकारा जाता है।

शास्त्रोक्त मान्यता के अनुसार, भगवान राम के एक वंशज भगीरथ गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाए थे, क्योंकि उनके पूर्वज (राजा सगर के 60 हजार पुत्रों) का तर्पण सिर्फ गंगा नदी में ही हो सकता था।

गोमुख से होता है गंगा का उद्गम...
गंगा नदी हिमालय के गंगोत्री हिमनद के निकलती है, जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 4000 मीटर है। इस स्थान को गोमुख कहते हैं। यहां देवी गंगा को समर्पित एक मंदिर बना है।

हिमालय पर्वत की पथरीली जमीन से पहली बार गंगा का मैदानी भाग से परिचय उत्तराखंड में हरिद्वार में होता है। यहां गंगा नदी के तट पर कुशावर्त घाट इंदौर की मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया गया था, जहां दिवंगत आत्माओ का श्राद्ध किया जाता है।

झारखंड के रामगढ़ के मंदिर की अनोखी मान्यता...
यहां मौजूद हर की पौड़ी घाट को राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भर्तृहरि की याद में बनवाया था। मान्यता है कि यहां भर्तृहरि ने तपस्या की थी। इसे ब्रह्मकुण्ड के नाम से भी जाना जाता है।

झारखंड राज्य के रामगढ़ में एक ऐसा मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां के शिवलिंग पर अपने आप गंगा जल गिरता है। जबकि गंगा की इस धारा का उद्भव कहां से होता है, यह कोई नहीं जानता है। इस जलाभिषेक का विवरण पुराणों में भी है।

बहती गंगा में पाई जाती है डॉल्फिन...
इस नदी में डॉल्फिन की दो प्रजातियां जाती हैं, जिन्हें गंगा डालफिन के नाम से जाना जाता है। बहती नदी में डॉल्फिन पाए जाने के कारण गंगा दुनिया भर के जीव और पर्यावरण विज्ञानियों के आकर्षण का केंद्र है।

यमुना नदी, गंगा की सबसे प्रमुख सहायक नदी है। यह हिमालय की बन्दरपूंछ चोटी पर स्थित यमुनोत्री हिमनद से निकलती है। यमुना, रामगंगा, घाघरा, राप्ती, गंडक, कोसी, चंबल, सोन, दक्षिणी टोंस आदि इसकी अन्य सहायक नदियां हैं।

मान्यता: हर संस्कार के लिए जरूरी है गंगाजल...
हिन्दू धर्मग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि गंगाजल पवित्रतम जल है और समस्त हिन्दू संस्कारों में इसका होना अनिवार्य है। भगवान की पूजा में पंचामृत के लिए भी गंगाजल आवश्यक माना गया है।

अनेक पर्यावरणविदों और कुछ वैज्ञानिक का मानना है कि गंगाजल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो हानिकारक जीवाणुओं और सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देते हैं। लेकिन गंगाजल की इस शुद्धीकरण क्षमता के बावजूद इसका प्रदूषण रोका नहीं जा सका है।

मगरमच्छ है देवी गंगा का वाहन...

हिन्दू धर्मग्रंथों में देवी गंगा का वाहन मकर यानी मगरमच्छ का उल्लेख मिलता है, जो जलीय प्राणियों में सर्वाधिक शक्तिशाली और परम वेगवान माना गया है।

मकर या मगरमच्छ एक प्रतीक है, जो बताता है हमें जल में रहने वाले हर प्राणी की रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि जल में रहने वाला हर प्राणी पारिस्थितिक तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है और उसकी अनुपस्थिति में पारिस्थितिक तंत्र बिगड़ जाएगा।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
गणेश भगवान की पूजा में बप्पा को लगाएं इन 7 चीजों का भोग, खुश होंगे गणपति
मगरमच्छ ही क्यों है देवी गंगा का वाहन, जानिए इस पवित्र नदी से जुड़ी कुछ ख़ास और रोचक बातें
क्यों नहीं कांवड़िए यात्रा के दौरान लेते हैं एक दूसरे का नाम, जानिए आखिर कौन सी कांवड़ यात्रा होती है सबसे कठिन
Next Article
क्यों नहीं कांवड़िए यात्रा के दौरान लेते हैं एक दूसरे का नाम, जानिए आखिर कौन सी कांवड़ यात्रा होती है सबसे कठिन
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com