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साल 2025 में कब रखा जाएगा महाशिवरात्रि का व्रत, जानिए यहां

इस दिन सच्चे मन से माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाए, तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख शांति बनी रहती है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल महाशिवरात्रि का व्रत की तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

साल 2025 में कब रखा जाएगा महाशिवरात्रि का व्रत, जानिए यहां
Maha shivratri 2025 : इस दिन जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त 6 बजकर 47 मिनट से 9 बजकर 42 मिनट तक है.

Mahashivratri vrat date 2025 : हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का व्रत विशेष महत्व रखता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ही भोलेनाथ का प्राक्ट्य हुआ था. यह भी माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव का देवी पार्वती से विवाह हुआ था. इस दिन सच्चे मन से माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख शांति बनी रहती है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल महाशिवरात्रि का व्रत की तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

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महाशिवरात्रि की तिथि - Maha shivratri date 2025

वैदिक पंचांग के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 27 फरवरी 8 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगा. हिन्दू धर्म में उदयातिथि का विशेष महत्व होता है, ऐसे में महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी. 

जलाभिषेक करने का शुभ समय - Auspicious time for Jalabhishek

सुबह का समय

इस दिन जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त 6 बजकर 47 मिनट से 9 बजकर 42 मिनट तक है. उसके बाद 11 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक जलाभिषेक कर सकते हैं. 

शाम के समय 

वहीं, महाशिवरात्रि को शाम के समय जलाभिषेक करने का समय 3 बजकर 25 मिनट से 6 बजकर 8 मिनट तक है. इसके बाद रात में 8 बजकर 54 मिनट से 12 बजकर 1 मिनट तक पूजा का समय है. 

महाशिवरात्रि पूजा विधि -  Mahashivratri puja vidhi

  • सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • इसके बाद शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल, इत्र शिवलिंग से अभिषेक करें.
  • शिवलिंग पर अक्षत, चंदन, बिल्वपत्र, सुपारी, पान, फल, फूल, नारियल भी चढ़ाएं.
  • इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र या ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें.
  • भोग में भगवान शिव को हलवा, ठंडाई, मालपुआ, लस्सी, सूखा मावा का भोग लगाएं.
  • माता पार्वती को सिंगार का सामान अर्पित करें.
  • अंत में शिवजी की आरती करें.
  • अगले दिन स्नान करके व्रत खोलें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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