Aarti 7 प्रकार की होती है- मंगला आरती, पूजा आरती, श्रृंगार आरती, भोग आरती, धूप आरती, संध्या आरती, शयन आरती.
Aarti ke niyam : हिन्दू घरों में रोज सुबह शाम पूजा और आरती करने के नियम हैं, बिना इसके तो दिन की शुरूआत ही नहीं होती है. इससे घर में सुख शांति और बरक्कत आती है. लेकिन कुछ लोगों को आरती (aarti karne ke labh) करने के सही तरीके (aarti karne ka sahi tarika kya hai) के बारे में नहीं पता होता है जिसके चलते यह फलित नहीं होता है. तो आज चलिए जान लेते हैं आरती करने का सही नियम क्या होता है.
आरती करने के क्या हैं नियम | What are the rules for performing Aarti
- भगवान की आरती हमेशा एक ही स्थान पर खड़े होकर करनी चाहिए. आरती करते समय हमेशा थोड़ा झुककर आरती करें. आरती को चार बार भगवान के चरणों में, दो बार नाभि पर, एक बार मुखमण्डल पर और सात बार सभी अंगों पर उतारें. इस तरह के 14 बार आरती घुमाने से चौदह भुवन जो भगवान में समाए हैं उन तक आपका प्रणाम पहुंचता है.
- स्कंद पुराण में भी आरती के बारे में खास नियम का जिक्र किया गया है. इस संबंध में स्कंद पुराण में जिक्र है कि यदि कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की संपूर्ण विधि नहीं जानता. लेकिन भगवान की हो रही आरती और पूजा में श्रद्धापूर्वक शामिल होकर आरती करता है तो उसकी पूजा स्वीकार हो जाती है.
- शास्त्रों में भगवान विष्णु द्वारा कहा गया है कि, जो व्यक्ति घी के दीपक से आरती करता है, उसे कोटि कल्पों तक स्वर्गलोक में स्थान प्राप्त होता है. कपूर से आरती करने पर व्यक्ति को अनंत में प्रवेश मिलता है. जो व्यक्ति पूजा में होने वाली आरती के दर्शन करता है, उसे परमपद की प्राप्ति होती है. ऐसे में पूजा बाद आरती करते वक्त विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.
- आरती के प्रकार : आरती 7 प्रकार की होती है. मंगला आरती, पूजा आरती, श्रृंगार आरती, भोग आरती, धूप आरती, संध्या आरती, शयन आरती.
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