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This Article is From Sep 15, 2020

Vishwakarma Puja 2020: विश्वकर्मा पूजा पर भूलकर भी न करें ये काम, पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

Vishwakarma puja 2020: हस्तशिल्पी कलाकार भगवान विश्वकर्मा की जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है, इसे विश्वकर्मा पूजा के नाम से भी जानते हैं. लेकिन इस बार विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर को की जाएगी.

Vishwakarma Puja 2020: विश्वकर्मा पूजा पर भूलकर भी न करें ये काम, पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली:

Vishwakarma puja 2020: हस्तशिल्पी कलाकार भगवान विश्वकर्मा की जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है, इसे विश्वकर्मा पूजा के नाम से भी जानते हैं. लेकिन इस बार विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर को की जाएगी. इस दिन सभी निर्माण के कार्य में उपयोग होने वाले हथियारों और औजारों की पूजा की जाती है. उद्योग जगत के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर उनकी विधि-विधान से पूजा करने से विशेष फल की प्राप्‍त‍ि होती है. ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा खुश होते हैं, तो व्‍यवसाय में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्‍की होती है. भगवान विश्वकर्मा ने पूरी सृष्टि का निर्माण किया, इन्हें सृष्टि का निर्माणकर्ता कहते हैं.

कब मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा, यानी विश्वकर्मा जयंती हर साल कन्या संक्रांति के दिन 17 सितंबर को मनाई जाती है. लेकिन, इस साल भगवान विश्वकर्मा जयंती बुधवार, यानी 16 सितंबर को मनाई जाएगी.

कैसे हुआ भगवान विश्वकर्मा का जन्म

यह मान्यता है कि प्राचीन काल में सभी का निर्माण विश्वकर्मा ने ही किया था. 'स्वर्ग लोक', सोने का शहर - 'लंका' और कृष्ण की नगरी - 'द्वारका', सभी का निर्माण विश्वकर्मा के ही हाथों हुआ था. कुछ कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा का जन्म देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से माना जाता है.

पूरे ब्रह्मांड के निर्माणकर्ता हैं विश्वकर्मा

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया है. पौराणिक युग में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों को भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था जिसमें 'वज्र' भी शामिल है, जो भगवान इंद्र का हथियार था. वास्तुकार कई युगों से भगवान विश्वकर्मा को अपना गुरु मानते हुए उनकी पूजा करते आ रहे हैं.

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विश्वकर्मा पूजा की विधि

- विश्वकर्मा पूजा के लिए भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को विराजित कर इनकी पूजा की जाती है, हालांकि बहुत से लोग अपने कल-पुर्जे को ही भगवान विश्वकर्मा मानकर उसकी पूजा करते हैं. इस दिन कई जगहों पर यज्ञ का भी आयोजन किया जाता है.

- पूजा में बैठने से पहले स्‍नान कर लें और भगवान विष्‍णु का ध्‍यान करने के बाद एक चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्‍वीर रखें.

- फिर अपने दाहिने हाथ में फूल, अक्षत लेकर मंत्र पढ़े और अक्षत को चारों ओर छिड़के दें और फूल को जल में छोड़ दें.

- इसके बाद हाथ रक्षासूत्र मौली या कलावा बांधे. फिर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करने के बाद उनकी विधिव‍त पूजा करें.

- पूजा के बाद विविध प्रकार के औजारों और यंत्रों आदि को जल, रोली, अक्षत, फूल और मि‍ठाई से पूजें और फिर विधिव‍त हवन करें.

विश्वकर्मा पूजा पर भूलकर भी न करें ये काम

उपकरण का न करें इस्तेमाल- मान्यता है कि इस दिन लोगों का अपने कारखाने फैक्ट्रियां बंद रखनी चाहिए. ऐसा करने के साथ ही वहां मौजूद मशीनों, उपकरणों और औजारों की पूजा करने से घर में बरकत आती है. इस दिन लोगों को किसी भी तरह की मशीनों और औजारों का इस्तेमाल करना वर्जित है.

मांस-मदिरा का सेवन न करें- इस दिन तामसिक भोजन यानि मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही अपने व्यापार और रोजगार को बढ़ाने के लिए इस दिन दरीब और असहाय लोगों दान जरूर देना चाहिए.

रोज़मर्रा इस्तेमाल करने वाली चीजों का करें सम्मान- भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार माना जाता है. इस दिन किसी भी प्रकार के औजार का इस्तेमाल न करें. भले ही ये उपकरण घर के ही क्यों न हों, लेकिन उनके इस्तेमाल से भी बचना चाहिए. साथ ही मशीनों को इधर-उधर बिखरने से भी बचाना चाहिए. इसके अलावा इस दिन किसी को भी अपने औजार उधार न दें.

घर में ऐसे करें पूजा- इस दिन दफ्तर के साथ ही घर में भी सभी मशीनों की पूजा करनी चाहिए. चाहे बिजली के उपकरण हो या फिर बाहर खड़ी गाड़ी, विश्वकर्मा पूजा के दिन सभी की सफाई करें. अगर जरूरी हो तो ऑयलिंग और ग्रीसिंग भी करें. इस दिन इनकी देखभाल किसी मशीन की तरह न करके, इस प्रकार करें जिससे प्रतीत हो कि आप भगवान विश्वकर्मा की ही पूजा कर रहे हैं.

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भगवान विश्वकर्मा की पूजा का मंत्र

ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:

क्या है इस साल पूजा का समय

इस साल विश्वकर्मा पूजा का समय इस प्रकार है.

सूर्योदय- 6:07

सूर्यास्त- 6:25

संक्रांति का समय- शाम 7:23 बजे

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