विज्ञापन
This Article is From Sep 06, 2017

श्राद्ध 2017: पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए 'विष्णुनगरी' तैयार

अश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या 15 दिन पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है. इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को जल अर्पित करते हैं व उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं. पिता-माता आदि पारिवारिक मनुष्यों की मौत के बाद उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले कर्म को पितृश्राद्ध कहते हैं.

श्राद्ध 2017: पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए 'विष्णुनगरी' तैयार
श्राद्ध 2017: अश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या 15 दिन पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है.
श्राद्ध शुरू होने वाले हैं, इस दौरान लोग अपने बड़े-बुजुर्गों के लिए दान पुण्‍य का काम करते हैं. पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की मुक्ति या मोक्ष दिलाने की कामना को लेकर पिंडदान और श्राद्ध करने आने वाले पिंडदानियों के लिए विष्णुनगरी, मोक्षधाम यानी गया पूरी तरह तैयार है. अश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या 15 दिन पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है. इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को जल अर्पित करते हैं व उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं. पिता-माता आदि पारिवारिक मनुष्यों की मौत के बाद उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले कर्म को पितृश्राद्ध कहते हैं.

श्राद्ध में पितरों को मिलती है मुक्ति

तीर्थकृत सुधारिनी सभा के अध्यक्ष गजाधर लाल ने बताया कि हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है. अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को 'पितृपक्ष' या 'महालय पक्ष' कहा जाता है, जिसमें लोग अपने पुरखों का पिंडदान करते हैं. मान्यता है कि पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. वैसे तो पिंडदान के लिए कई धार्मिक स्थल हैं, लेकिन सबसे उपयुक्त स्थल बिहार के गया को माना जाता है.

पुरखों (पूर्वजों) को पिंडदान करने के लिए आने वाले देश-दुनिया के पिंडदानियों का अब यहां इंतजार हो रहा है. वैसे कई पिंडदानी यहां पहुंच भी गए हैं. प्रशासन और गयापाल पंडा समाज के द्वारा इस तीर्थ नगरी में आने वाले लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है, जबकि धर्मशाला, होटल, निजी आवास पिंडदानियों से भरने लगे हैं.
 

मेले के लिए किए गए हैं खास इंतजाम

गया जिला के एक अधिकारी के मुताबिक, इस वर्ष पितृपक्ष के मौके पर यहां आठ लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. गया के जिलाधिकारी कुमार रवि ने बताया कि अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के उद्देश्य से यहां पितृपक्ष में लाखों लोग आते हैं. प्रशासन आने वाले लोगों को हर सुविधा मुहैया कराने के लिए तत्पर हैं.

उन्होंने बताया कि मेला में किसी भी तरह की परेशानी होने पर प्रशासन द्वारा बनाए गए कॉल सेंटर में हेल्पलाइन नंबर पर सूचना दी जा सकती है. कॉल सेंटर में तैनात अधिकारी प्राप्त शिकायत संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों को देंगे. इस वर्ष पितृपक्ष के मौके पर जिला प्रशासन तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए बस सेवा और स्वास्थ्य सेवा के बेहतर इंतजाम का दावा कर रहा है.

श्राद्ध में अफवाह को लेकर कड़े इंतजाम

एक अधिकारी के मुताबिक, इस वर्ष सरकारी तौर पर पांच सितंबर से शुरू होने वाले विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले में आने वाले पिंडदानी होटल, गयावाल पंडा के निजी आवास और धर्मशालाओं में ठहरेंगे. जिलाधिकारी ने बताया कि अफवाह फैलाने वालों पर पूरी नजर रखी जाएगी. सोशल मीडिया पर भी खास नजर रखने का निर्देश दिया गया है.

इस मेले को राजकीय मेले का दर्जा मिला हुआ है. गजाधर लाल कहते हैं, "पिंडवेदी कोई एक जगह नहीं है. तीर्थयात्रियों को धार्मिक कर्मकांड में दिनभर का समय लग जाता है. वैसे में लोग पूरी तरह थक जाते हैं." उन्होंने कहा कि अश्विन माह के कृष्णपक्ष के पितृपक्ष पखवाड़े में विष्णुनगरी में अपने पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना लिए देश ही नहीं, विदेशों से भी सनातन धर्मावलंबी गया आते हैं. देश में सबसे ज्यादा बंगाल, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा के अलावा दक्षिण भारत के तामिलनाडु, केरल, ओडिशा, चेन्नई के पिंडदानी यहां आते हैं.
 

नहीं होगी यातायात की परेशानी

गया की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गरिमा मलिक ने बताया कि मेला को 38 जोन में बांटा गया है. 70 अस्थायी पुलिस शिविर बनाए गए हैं, जहां 24 घंटे पुलिस तैनात रहेगी. 200 स्थलों पर भी पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गई है. इसके अलावा यातायात पुलिस बल भी तैनात रहेगा. लगभग चार से पांच हजार पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गई है. दंगा-निरोधक बल व केंद्रीय बल की भी तैनाती की गई है. अश्वारोही दल, मोटरसाइकिल गश्ती दल भी रहेगा.

उन्होंने बताया, "समाज की शांति व्यवस्था, सद्भाव एवं सौहार्द में बाधा डालने में अफवाह बड़ी वजह होती है. इस पर कार्रवाई की जाएगी. वाट्सएप ग्रुप सहित सोशल मीडिया पर भी कड़ी नजर रहेगी." देश के अलावा विदेश में रहने वाले हिंदू धर्मावलंबी कर्मकांड के लिए गया आते हैं. कई बार अमेरिकी और यूरोपीय देशों में बसे हिंदू धर्मावलंबी भी श्राद्ध के लिए गया आते हैं.

गया में पितृपक्ष मेला 17 दिनों तक चलता है. यह मेला गया शहर, बोधगया सहित अन्य स्थानों में फैला होता है. इस मेले में कर्मकांड का विधि-विधान कुछ अलग-अलग है. श्रद्धालु एक से तीन, सात दिन, 15 और 17 दिनों तक का कर्मकांड करते हैं. कर्मकांड करने आने वाले श्रद्धालु यहां रहने के लिए तीन-चार महीने पहले से ही इसकी व्यवस्था कर लेते हैं. इस वर्ष सात सितंबर से पितृ-तर्पण शुरू होगा और 20 सितंबर को संपन्न होगा.

न्‍यूज एजेंसी आईएएनएस से इनपुट
 
आस्था की खबरों के लिए क्लिक करें

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com