Shradh 2017: पितृ ऋण से मुक्ति होने के लिए ही श्राद्ध किया जाता है.
हर साल भद्रपद शुक्लपक्ष पूर्णिमा से लेकर अश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या के बीच पितृपक्ष या श्राद्ध किए जाते हैं. श्राद्ध के अंतिम दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या या महालया अमावस्या होती है. हिन्दू धर्म में तीन तरह के कर्ज होते हैं, पहला देव ऋण, दूसरा ऋषि ऋण और तीसरा पितृ ऋण. इन तीनों में पितृ ऋण का महत्व सबसे अधिक माना गया है. इसके पीछे है एक बड़ी वजह, जिसके चलते ही पितृ ऋण को सबसे बड़ा ऋण माना जाता है. हिंदू शास्त्रों के मुताबिक पितृ ऋण से मुक्ति होने के लिए ही श्राद्ध किया जाता है.
क्या है श्राद्ध
श्राद्ध में हम अपने पितरों की तृप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. श्रद्धा के जरिए पितरों को भोजन और जल आदि दिया जाता है. श्राद्ध कर्म के दौरान पिंडदान के रूप में पितरों को भोजन वगैरह समर्पित किया जाता है, इसी को श्राद्ध कर्म कहते हैं.
क्या है महालया अमावस्या
पितृपक्ष या श्राद्ध का सबसे अहम दिन होता है महालया अमावस्या. यह वह दिन है, जिस दिन उन पूर्वजों का श्रद्धा किया जाता है, जिनकी सही पुण्यतिथि ज्ञात न हो. इस दिन उनका पिंडदान किया जाता है.
क्या है मान्यता
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क्या है श्राद्ध
श्राद्ध में हम अपने पितरों की तृप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. श्रद्धा के जरिए पितरों को भोजन और जल आदि दिया जाता है. श्राद्ध कर्म के दौरान पिंडदान के रूप में पितरों को भोजन वगैरह समर्पित किया जाता है, इसी को श्राद्ध कर्म कहते हैं.
क्या है महालया अमावस्या
पितृपक्ष या श्राद्ध का सबसे अहम दिन होता है महालया अमावस्या. यह वह दिन है, जिस दिन उन पूर्वजों का श्रद्धा किया जाता है, जिनकी सही पुण्यतिथि ज्ञात न हो. इस दिन उनका पिंडदान किया जाता है.
क्या है मान्यता
- मान्यता है कि पितृपक्ष में यमराज हर साल सभी जीवों को मुक्त करते हैं. यमराज ऐसा इसलिए करते हैं ताकी वे जीव अपने लोगों के द्वारा किए जा रहे तर्पण को ग्रहण कर सकें.
- मान्यता के अनुसार पितर अपने कुल की रक्षा करते हैं.
- माना जाता है कि श्राद्ध को तीन पीढ़ियों तक निभाया जाना चाहिए.
- मान्यता है कि अगर पितर नाराज हो जाते हैं, तो जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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