फाइल फोटो
उज्जैन:
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ कुंभ के दौरान महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए वीआईपी दर्शन व्यवस्था जारी रहेगी, पर इस विशेष सुविधा का लाभ केवल संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और उनके परिवार के सदस्यों को ही मिल सकेगा।
सिंहस्थ कुंभ की तैयारियों को लेकर मंगलवार को हुई अफसरों की बैठक में जिले के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि महाकाल का दर्शन संवैधानिक दर्जा प्राप्त वीआईपी नागरिकों और उनके परिजनों को ही कराया जाएगा। इसके अलावा, किसी को भी वीआईपी मानकर दर्शन नहीं कराया जाएगा।
संतों का सम्मान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता
गौरतलब है कि प्रभावशाली लोगों के लिए हमेशा ही मंदिर में दर्शन के लिए वीआईपी व्यवस्था रहती है। अब सरकार ने साफ किया है कि कुंभ के दौरान वीआईपी दर्शन व्यवस्था सिर्फ संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और उनके परिजनों के लिए ही होगी। प्रभारी मंत्री ने कहा कि महाकाल मंदिर परिसर की सुरक्षा स्थानीय पुलिस बल नहीं करेगा, बल्कि सुरक्षा-व्यवस्था की कमान जिले के बाहर की पुलिस को सौंपी जाएगी।
प्रभारी मंत्री ने मेला कार्यालय में साधु-संतों से चर्चा के दौरान कहा कि संतों का सम्मान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी आधार पर उन्हें भूमि आवंटन और अखाड़ों के निर्माण में पूरा सहयोग नीतिगत रूप से किया जाएगा। प्रशासन सिंहस्थ के दौरान पूरी व्यवस्था संत समाज को ध्यान में रखकर ही कर रहा है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
सिंहस्थ कुंभ की तैयारियों को लेकर मंगलवार को हुई अफसरों की बैठक में जिले के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि महाकाल का दर्शन संवैधानिक दर्जा प्राप्त वीआईपी नागरिकों और उनके परिजनों को ही कराया जाएगा। इसके अलावा, किसी को भी वीआईपी मानकर दर्शन नहीं कराया जाएगा।
संतों का सम्मान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता
गौरतलब है कि प्रभावशाली लोगों के लिए हमेशा ही मंदिर में दर्शन के लिए वीआईपी व्यवस्था रहती है। अब सरकार ने साफ किया है कि कुंभ के दौरान वीआईपी दर्शन व्यवस्था सिर्फ संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और उनके परिजनों के लिए ही होगी। प्रभारी मंत्री ने कहा कि महाकाल मंदिर परिसर की सुरक्षा स्थानीय पुलिस बल नहीं करेगा, बल्कि सुरक्षा-व्यवस्था की कमान जिले के बाहर की पुलिस को सौंपी जाएगी।
प्रभारी मंत्री ने मेला कार्यालय में साधु-संतों से चर्चा के दौरान कहा कि संतों का सम्मान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी आधार पर उन्हें भूमि आवंटन और अखाड़ों के निर्माण में पूरा सहयोग नीतिगत रूप से किया जाएगा। प्रशासन सिंहस्थ के दौरान पूरी व्यवस्था संत समाज को ध्यान में रखकर ही कर रहा है।
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