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This Article is From Sep 28, 2022

Vinayak Chaturthi: आश्विन मास की विनयक चतुर्थी है बेहद खास, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Vinayak Chaturthi 2022: आश्विन मास की विनायक चतुर्थी का व्रत 29 सितंबर को रखा जाएगा. जानिए विनायक चतुर्थी के लिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

Vinayak Chaturthi: आश्विन मास की विनयक चतुर्थी है बेहद खास, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Vinayak Chaturthi 2022: भगवान गणेश की पूजा के लिए खास है आश्विन विनायक चतुर्थी.

Vinayak Chaturthi September 2022: भगवान गणेश की पूजा के लिए हर महीने की संकष्टी और विनायक चतुर्थी खास होती है. इस दिन लोग भगवान गणपति की विशेष पूज-अर्चना करते हैं. इस बार आश्विन मास की विनायक चतुर्थी 29 सितंबर, गुरुवार को पड़ रही है. संयोगवश इस दिन नवरात्रि का चौथा दिन भी है. ऐसे में इस दिन मां कूष्मांडा की पूजा के साथ ही भगवान गणेश की पूजा भी की जाएगी. विनायक चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा करने से सारे विघ्न दूर होते हैं. आइए जानते हैं कि आश्विन मास की विनायक चतुर्थी के बारे में.

विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त | Vinayak Chaturthi Shubh Muhurat

पंचांग के अनुसार, 29 सितंबर 2022 को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. ऐसे में चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 सितंबर को रात  1 बजकर 28 मिनट से शुरू हो रही है. वहीं चतुर्थी तिथि का समापन 30 सितंबर को रात 12 बजकर 09 मिनट पर होगा. ऐसे में पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 29 सितंबर को सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 1 बजकर 23 मिनट तक है. इस शुभ समय में विनायक चतुर्थी की पूजा कर सकते हैं. 

विनायक चतुर्थी का महत्व | Vinayak Chaturthi Importance

विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधिवत भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से मनचाहा वरदान मिलता है. इसके साथ ही श्री गणेश के पूजन से सभी तरह के कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं. साथ ही घर में सुख-शांति और समृद्धि का माहौल कायम रहता है. इस दिन विधिवत व्रत रखने से भगवान गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. 

विनायक चतुर्थी पूजा विधि | Vinayak Chaturthi Puja Vidhi

विनायक चतुर्थी व्रत में सुबह स्नान के पश्चात् लाल या पीले वस्त्र पहनें.  इसके बाद पूजा स्थल पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें. अगर मूर्ति पहले से है तो उसका गंगाजल से अभिषेक  करें. भगवान के अभिषेक के बाद उन्हें सिंदूर का तिलक लगाएं. फिर उन्हें दूर्वा, फल, फूल और मिष्ठान अर्पित करें. इसके बाद गणेश जी के मंत्रों का जाप करें. अंत में प्रणाम कर प्रसाद वितरण करें और पूरे दिन फलाहारी व्रत रखकर अगले दिन पंचमी तिथि में व्रत का पारण करें. ध्यान रखें कि भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. मान्यता है कि भगवान गणेश ने तुलसी को श्राप दिया था. इसके अलावा गणेश जी को कभी भी सूखे और बासी फूल न अर्पित करें, ऐसा करने से आर्थिक संकट आता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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