Utpanna Ekadashi par kya nahi karna chahiye: हिंदू धर्म में भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए एकादशी व्रत को अत्यंत ही शुभ माना गया है. साल भर में कुल 24 बार यह व्रत आता है, लेकिन जब यह मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष पक्ष में पड़ता है तो उत्पन्ना एकादशी व्रत कहलाता है. उत्पन्ना एकादशी का महत्व इसलिए बहुत ज्यादा माना जाता है क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं इस मास को अपना स्वरूप बताया है. इस बार यह व्रत 15 नवंबर 2025 को पड़ेगा.
हिंदू मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने पर व्यक्ति के पूर्व और वर्तमान जन्म के पापों से मुक्ति और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है, लेकिन शास्त्रों में इस व्रत के कुछेक नियम भी बताए गये हैं, जिनकी अनदेखी करने आपको इस व्रत का पुण्यफल नहीं प्राप्त होता है. आइए जानते हैं कि उत्पन्ना एकादशी व्रत को करते समय किन गलतियों को करने से बचना चाहिए.
- हिंदू मान्यता के अनुसार एकादशी के व्रत वाले दिन व्यक्ति को सात्विक चीजों को ग्रहण करना चाहिए और भूलकर भी तामसिक चीजें जैसे मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.
- सनातन परंपरा में व्रत एक तप के समान होता है, जिसमें व्यक्ति तमाम तरह के नियमों के साथ ब्रह्मचर्य का पालन भी करता है. ऐसे में एकादशी वाले दिन श्री हरि के साधक को भोग-विलास से दूर रहना चाहिए.
- हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान श्री विष्णु का कृपा की चाह रखने वाले साधक को उत्पन्ना एकादशी व्रत पर दिन के समय नहीं सोना चाहिए. इस नियम की अनदेखी करने पर इस व्रत का पुण्यफल क्षीण हो जाता है.
- हिंदू मान्यता के अनुसार उत्पन्ना एकादशी व्रत वाले दिन व्यक्ति अपने बाल और नाखून आदि काटने से बचना चाहिए. इस दिन क्षौर कर्म को बड़ा दोष माना जाता है.

- हिंदू मान्यता के अनुसार एकादशी के दिन व्यक्ति को न तो अपने घर में और न ही किसी दूसरे के घर में अन्न ग्रहण करना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न, धन एवं वस्त्र आदि का दान करना चाहिए न कि किसी से लेना चाहिए. एकादशी के दिन चावल का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
- हिंदू मान्यता के अनुसार एकादशी का व्रत बगैर पारण के अधूरा माना जाता है. इस पावन व्रत का पारण त्रयोदशी तिथि से पहले शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से करना चाहिए अन्यथा आपको व्रत का पुण्यफल नहीं मिलेगा.
- सनातन परंपरा में एकादशी तिथि पर तुलसी को तोड़ना दोष माना गया है, ऐसे में भगवान विष्णु की पूजा के लिए साधक को एक दिन पूर्व तुलसी दल इकट्ठा करके रख लेना चाहिए.
- उत्पन्ना एकादशी के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना गया है. इस दिन भूलकर भी काले रंग के कपड़े नहीं पहनना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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