दार्जीलिंग हिल्स में पिछले करीब दो माह से जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल की वजह से, सितंबर माह के अंत में पड़ने वाली दुर्गा पूजा के समारोहों को लेकर अनिश्चितता व्याप्त है. हड़ताल खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं और ऐसे में दुर्गा पूजा के ज्यादातर आयोजकों ने या तो पूजा की योजना ही रद्द कर दी है या फिर उन्होंने छोटे पैमाने पर इसका आयोजन करने का फैसला किया है. बंगाल का सबसे बड़ा त्यौहार दुर्गा पूजा 26 से 30 सितंबर तक मनाया जाएगा .
पृथक गोरखालैंड की मांग को लेकर पहाड़ियों में अनिश्चितकालीन बंद 15 जून से शुरू हुआ है और आज इसका 74 वां दिन है.
कुर्सियोंग स्थित बंगाली एसोसिएशन पिछले करीब सौ साल से पुराने राज राजेश्वरी हॉल में दुर्गा पूजा का आयोजन करता आ रहा है. इस बार उसने पूजा के लिए बजट में कटौती कर दी है.
ब्रिटिश काल के धरोहर हॉल का संचालन एसोसिएशन करता था. जुलाई में इस हॉल को असामाजिक तत्वों ने आग लगा दी थी.
एसोसिएशन के एक सदस्य ने बताया ‘‘शुरू में हमने इस साल पूजा का आयोजन न करने का फैसला किया क्योंकि अनिश्चितता बहुत है. अभी हमें दुर्गा प्रतिमा के लिए ऑर्डर देना है. इसलिए हम इस बार बहुत छोटे पैमाने पर आयोजन कर रहे हैं. हमें पंडाल और प्रतिमा दोनों ही छोटी बनानी हैं.’’ गोरखालैंड समर्थक कार्यकर्ताओं के प्रतिशोध के डर से इन सदस्यों ने नाम नहीं बताया.
बंगाली एसोसिएशन, दार्जीलिंग के एक सदस्य शुभमय चटर्जी ने कहा ‘‘हम दुर्गा पूजा का आयोजन तो कर रहे हैं लेकिन हमारा बजट बहुत कम है. हमने न तो स्थानीय लोगों से चंदा एकत्र किया है और न ही हमारे पास कोई समुचित प्रायोजक है. शुरू में हम आयोजन नहीं करना चाहते थे क्योंकि खतरा कम नहीं है. लेकिन फिर हमने तय किया कि छोटे पैमाने पर पूजा आयोजित की जाए.’’ पूरी पहाड़ियों में 10 से 15 जगहों पर पूजा आयोजन होता है.
पृथक गोरखालैंड की मांग को लेकर पहाड़ियों में अनिश्चितकालीन बंद 15 जून से शुरू हुआ है और आज इसका 74 वां दिन है.
कुर्सियोंग स्थित बंगाली एसोसिएशन पिछले करीब सौ साल से पुराने राज राजेश्वरी हॉल में दुर्गा पूजा का आयोजन करता आ रहा है. इस बार उसने पूजा के लिए बजट में कटौती कर दी है.
ब्रिटिश काल के धरोहर हॉल का संचालन एसोसिएशन करता था. जुलाई में इस हॉल को असामाजिक तत्वों ने आग लगा दी थी.
एसोसिएशन के एक सदस्य ने बताया ‘‘शुरू में हमने इस साल पूजा का आयोजन न करने का फैसला किया क्योंकि अनिश्चितता बहुत है. अभी हमें दुर्गा प्रतिमा के लिए ऑर्डर देना है. इसलिए हम इस बार बहुत छोटे पैमाने पर आयोजन कर रहे हैं. हमें पंडाल और प्रतिमा दोनों ही छोटी बनानी हैं.’’ गोरखालैंड समर्थक कार्यकर्ताओं के प्रतिशोध के डर से इन सदस्यों ने नाम नहीं बताया.
बंगाली एसोसिएशन, दार्जीलिंग के एक सदस्य शुभमय चटर्जी ने कहा ‘‘हम दुर्गा पूजा का आयोजन तो कर रहे हैं लेकिन हमारा बजट बहुत कम है. हमने न तो स्थानीय लोगों से चंदा एकत्र किया है और न ही हमारे पास कोई समुचित प्रायोजक है. शुरू में हम आयोजन नहीं करना चाहते थे क्योंकि खतरा कम नहीं है. लेकिन फिर हमने तय किया कि छोटे पैमाने पर पूजा आयोजित की जाए.’’ पूरी पहाड़ियों में 10 से 15 जगहों पर पूजा आयोजन होता है.
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