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नालंदा में गुरु पद्मसंभव की विरासत पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आज से शुरू

गुरु रिनपोछे नाम से भी प्रसिद्ध गुरु पद्मसंभव आठवीं शताब्दी में प्राचीन भारत में रहते थे. बुद्ध धम्म की सबसे सम्मानित हस्तियों में से एक गुरु पद्मसंभव को हिमालय क्षेत्र में बुद्ध धम्म के प्रसार का श्रेय दिया जाता है.

नालंदा में गुरु पद्मसंभव की विरासत पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आज से शुरू
यह कार्यक्रम नव नालंदा महाविहार के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ की ओर से आयोजित किया जा रहा है.
नई दिल्ली:

बिहार के नालंदा में गुरु पद्मसंभव के जीवन और उनकी जीवंत विरासत पर आज यानी 28 अगस्त से दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. संस्कृति मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी. गुरु रिनपोछे नाम से भी प्रसिद्ध गुरु पद्मसंभव आठवीं शताब्दी में प्राचीन भारत में रहते थे. बुद्ध धम्म की सबसे सम्मानित हस्तियों में से एक गुरु पद्मसंभव को हिमालय क्षेत्र में बुद्ध धम्म के प्रसार का श्रेय दिया जाता है.

यह कार्यक्रम नव नालंदा महाविहार के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ की ओर से आयोजित किया जा रहा है.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे. नेपाल में ‘लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट' के उपाध्यक्ष खेनपो चिमेद और रॉयल भूटान मंदिर में ‘सेंट्रल मोनास्टिक बॉडी' भूटान के सचिव खेनपो उगयेन नामग्याल सम्मेलन में सम्मानित अतिथि होंगे.''

बयान में कहा गया कि गुरु रिनपोछे को ‘‘दूसरा बुद्ध'' माना जाता है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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