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उज्जैन:
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी कहे जाने वाले उज्जैन में इस साल अप्रैल-मई में होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले में आपदा प्रबंधन के मद्देनजर आग और विद्युत दुर्घटना से बचने के लिए एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। मेला अधिकारियों और आयोजकों ने निर्णय लिया है कि यहां निर्मित होने वाली संरचनाओं में जल्दी आग पकड़ने वाली वस्तुओं और घास आदि का इस्तेमाल नहीं होगा।
सिंहस्थ मेले के आयोजकों की ओर से जारी किए गए आधिकारिक बयान में बताया गया है कि मेला क्षेत्र में व्यापारियों, संस्थाओं, साधुओं द्वारा भवन, गुमटी, झोपड़ी और अन्य संरचनाओं का निर्माण जल्दी आग पकड़ने वाली वस्तुओं और घास-फूस आदि से नहीं किया जा सकेगा। साथ ही इस क्षेत्र में योग्य लाइसेंस धारक विद्युत इंजीनियर से ही पण्डाल और तम्बू में विद्युत वायरिंग कराई जा सकेगी।
इसके अलावा पण्डाल और तम्बू में गैस बत्ती की चिमनी के उपयोग में विशेष सावधानी रखी जाएगी। पण्डाल की छत में गैस बत्ती लटकाना निषेध होगा और पण्डाल में खुली आग का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। इन सभी स्थितियों के निरीक्षण के लिए पर्याप्त कर्मचारियों की सेवा ली जाएगी। मेला क्षेत्र में स्थापित होने वाले विद्युत सुधार केन्द्रों पर 24 घंटे विद्युत कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी।
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यह भी पढ़ें : उज्जैन सिंहस्थ कुंभ मेला में पंचक्रोशी मार्ग पर बनाए जाएंगे ग्रामीण पर्यटन केंद्र
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झोपड़ी में ज्वलनशील सामग्री रखने की अनुमति नहीं
आयोजन को लेकर चल रही तैयारियों के मुताबिक, मेला क्षेत्र में लगाए जाने वाले बड़े-बड़े टेंट और डोम इस प्रकार से बनाए जाएंगे कि टेंटों के बीच अग्नि शामक वाहनों को आने-जाने के लिए कम से कम आठ मीटर का रास्ता उपलब्ध रहे। टेंटों में प्राथमिक-स्तर पर आग रोकने के पूरे इंतजाम रहेंगे। बड़े टेंट में अग्नि-शमन यंत्र रखे जाएंगे और 200 लीटर पानी के दो ड्रम भी रखे जाएंगे। टेंटों का निर्माण प्रतिरोधक कपड़े या अग्निरोधी घोल से उपचारित कपड़े से किया जाएगा। पण्डाल में इलेक्ट्रिक हीटर्स का प्रयोग प्रतिबंधित रहेगा।
आपदा प्रबंधन में यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि साधु-संतों के शिविरों और उनके भोजन-गृह के बीच की दूरी कम से कम 30 मीटर हो। सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए टेंट और झोपड़ी में पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और स्प्रिट जैसी ज्वलनशील सामग्री सक्षम अधिकारी की लिखित अनुमति के बिना नहीं रखी जा सकेगी। इसके लिए शिविर से कम से कम 50 मीटर की दूरी पर खुले स्थान पर अलग से भंडारगृह बनाए जाएंगे।
सिंहस्थ मेले के आयोजकों की ओर से जारी किए गए आधिकारिक बयान में बताया गया है कि मेला क्षेत्र में व्यापारियों, संस्थाओं, साधुओं द्वारा भवन, गुमटी, झोपड़ी और अन्य संरचनाओं का निर्माण जल्दी आग पकड़ने वाली वस्तुओं और घास-फूस आदि से नहीं किया जा सकेगा। साथ ही इस क्षेत्र में योग्य लाइसेंस धारक विद्युत इंजीनियर से ही पण्डाल और तम्बू में विद्युत वायरिंग कराई जा सकेगी।
इसके अलावा पण्डाल और तम्बू में गैस बत्ती की चिमनी के उपयोग में विशेष सावधानी रखी जाएगी। पण्डाल की छत में गैस बत्ती लटकाना निषेध होगा और पण्डाल में खुली आग का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। इन सभी स्थितियों के निरीक्षण के लिए पर्याप्त कर्मचारियों की सेवा ली जाएगी। मेला क्षेत्र में स्थापित होने वाले विद्युत सुधार केन्द्रों पर 24 घंटे विद्युत कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी।
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झोपड़ी में ज्वलनशील सामग्री रखने की अनुमति नहीं
आयोजन को लेकर चल रही तैयारियों के मुताबिक, मेला क्षेत्र में लगाए जाने वाले बड़े-बड़े टेंट और डोम इस प्रकार से बनाए जाएंगे कि टेंटों के बीच अग्नि शामक वाहनों को आने-जाने के लिए कम से कम आठ मीटर का रास्ता उपलब्ध रहे। टेंटों में प्राथमिक-स्तर पर आग रोकने के पूरे इंतजाम रहेंगे। बड़े टेंट में अग्नि-शमन यंत्र रखे जाएंगे और 200 लीटर पानी के दो ड्रम भी रखे जाएंगे। टेंटों का निर्माण प्रतिरोधक कपड़े या अग्निरोधी घोल से उपचारित कपड़े से किया जाएगा। पण्डाल में इलेक्ट्रिक हीटर्स का प्रयोग प्रतिबंधित रहेगा।
आपदा प्रबंधन में यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि साधु-संतों के शिविरों और उनके भोजन-गृह के बीच की दूरी कम से कम 30 मीटर हो। सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए टेंट और झोपड़ी में पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और स्प्रिट जैसी ज्वलनशील सामग्री सक्षम अधिकारी की लिखित अनुमति के बिना नहीं रखी जा सकेगी। इसके लिए शिविर से कम से कम 50 मीटर की दूरी पर खुले स्थान पर अलग से भंडारगृह बनाए जाएंगे।
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