Somvati Amavasya 2022: सोमवती अमावस्या का सुहागिन स्त्रियां बेसब्री से इंतजार करती हैं. हिंदू धर्म के अनुसार इस व्रत को बहुत फलदायी माना गया है. यह व्रत महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इस दिन सभी व्रती स्त्रियां पीपल के पेड़ के चारों तरफ परिक्रमा करती हैं और अपने दांपत्य जीवन की खुशहाली की कामना करती हैं. यह व्रत सोमवार के दिन पड़ता है जिसके कारण ही इसका नाम सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2022) रखा गया है. यह व्रत इसलिए और भी खास है क्योंकि यह साल का आखिरी सोमवती अमावस्या व्रत है.
क्या कहता है पंचांगहिंदू पंचांग के अनुसार साल की दूसरी और आखिरी सोमवती अमावस्या 30 मई को मनाई जाएगी. इसके बाद इस साल कोई सोमवती अमावस्या नहीं होगी. उल्लेखनीय है कि पहली सोमवती अमावस्या का व्रत साल की शुरूआत में 31 जनवरी को रखा गया था.
सोमवती अमावस्या पूजा विधिसोमवती अमावस्या के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं. आपको बता दें कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने को बहुत पवित्र और शुभ माना गया है. स्नान करने के बाद विवाहित स्त्रियां तांबे के लोटे में सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इसके बाद व्रती महिलाएं विधि विधान के साथ पीपल के पेड़ की परिक्रमा करती हैं और अपने दांपत्य जीवन के सुखमय होने की कामना करती हैं. इस व्रत को करने से पारिवारिक जीवन सुखमय होता ही है साथ ही घर में सकारात्मकता ऊर्जा भी आती है. इसके अलावा फलाहारी में नमक का सेवन नहीं करती हैं.
ऐसे करें पितरों को दानसोमवती अमावस्या के दिन पितरों के नाम से तिल का भोग दक्षिण दिशा की ओर करना चाहिए. अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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