
एक वर्ष में 24 एकादशी के व्रत होते हैं और उसी तरह एक साल में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) भी 24 होते हैं. प्रदोष व्रत जिस भी वार को होता है उसका एक विशेष महत्व होता है. हर वार को होने वाले प्रदोष व्रत के अलग-अलग महत्व होते हैं. हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है और हिंदू धर्म ग्रंथों में भी इसका जिक्र मिलता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती जी (Goddess Parvati) की पूजा की जाती है. हिंदू कलेंडर के मुताबिक एक महीने में दो बार प्रदोष व्रत आता है. यह व्रत एक बार शुक्ल पक्ष और फिर एक बार कृष्ण पक्ष में आता है. इस बार 20 अप्रैल को सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) है.
20 अप्रैल को है सोम प्रदोष व्रत
प्रदोष व्रत तिथि: 20 अप्रैल 2020
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 20 अप्रैल को सुबह 12 बजकर 42 मिनट
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 21 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 11 मिनट
सोम प्रदोष व्रत का महत्व
1. सोम प्रदोष व्रक, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है. इस दिन व्रत रखने से वह भक्तों पर अपनी कृपा करते हैं.
2. सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है इस वजह से इस दिन मंदिर में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से भगवान शिव भक्तों की सारी बाधाएं दूर कर देते हैं.
3. इस दिन यदि भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की पूजा की जाए तो भक्तों को दोनों की असीम कृपा प्राप्त होती है.
4. यह व्रत तमाम रोगों को दूर रखने के लिए भी रखा जाता है. माना जाता है कि इस व्रत से अच्छी सेहत की प्राप्ती होती है.
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