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Surya grahan 2025: सूर्य ग्रहण के स्पर्श, मध्य और मोक्ष से जुड़े 3 जरूरी नियम, जिसे मानने पर नहीं लगता इसका दोष

Surya grahan 2025:साल का आखिरी सूर्य ग्रहण आज लगने जा रहा है. जिन देशों में यह दिखाई पड़ेगा, वहां रहने वाले सनातनी लोगों को इसके दोष से बचने और पुण्यफल को पाने के लिए किस समय क्या करना चाहिए? किसके लिए यह शुभ और किसके लिए अशुभ रह सकता है, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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Surya grahan 2025 Rules: ग्रहण चाहे सूर्य का हो या फिर चंद्रमा का, वह जहां नजर आता है, वहीं पर  उसका प्रभाव होता है, जहां ग्रहण नहीं दिखाई देता है, वहां पर वह फलित नहीं होता है. चूंकि साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा इसलिए इसका यहां पर किसी भी प्रकार का कोई भी असर नहीं होगा. ऐसे में यह न तो भारत और न ही यहां पर रहने वाले लोगों के लिए अच्छा है और न ही बुरा है. यह बिल्कुल ही असरहीन है, लेकिन जहां पर भी यह दिखाई दे रहा है, वहां पर इसका पूरा प्रभाव होगा. ऐसे में वहां पर रहने वाले सनातनी लोगों को इससे जुड़े सूतक आदि नियमों का पूरा पालन करना चाहिए. 

धर्म और ज्योतिष के अनुसार क्या हैं सूर्य ग्रहण के नियम?

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष (Astrology) विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पाण्डेय के अनुसार धर्म शास्त्र और ज्योतिष दोनों ही एक दूसरे का पूरक है. इसका कोई अलग-अलग महत्व नहीं है. ज्योतिष के अनुसार ग्रह-नक्षत्र आदि की मदद से शुभ-अशुभ आदि की गणना होती है तो वहीं धर्म शास्त्र इससे जुड़े नियम आदि बताता है. 

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सूर्य ग्रहण के तीन प्रमुख कार्य

1.स्पर्श के समय करें स्नान

धर्म शास्त्र के अनुसार ग्रहण के तीन प्रमुख कार्य होते हैं - स्नान, ध्यान-जप-तर्पण और दान. किसी भी ग्रहण के शुरु होते ही सबसे पहले स्नान किया जाता है. ऐसे में सूर्य के ग्रहण का स्पर्श होते ही स्नान करें. 

2. मध्य में करें जप, होम और तर्पण 

स्नान के बाद अपने आराध्य देवी-देवता या गुरुमंत्र का जप करें या फिर ध्यान और हवन आदि कार्य करें. 

ग्रहण के दौरान पितरों के लिए श्राद्ध करने का भी विधान है, इसलिए इसमें पितरों का श्राद्ध और उन्हें विदा करने में कोई अड़चन नहीं आती है. 

3. ग्रहण समाप्त होने पर करें दान 

सूर्य ग्रहण जैसे ही समाप्त होता है, उस समय उसके मोक्ष के लिए स्नान करके अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए. 

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सूर्य ग्रहण में इन नियमों का भी करें पालन 

  • हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण में 9 घंटे और सूर्य ग्रहण में 12 घंटे पहले सूतक लगता है. 
  • सूर्य ग्रहण के समय बालक, वृद्ध, रोगी और आतुर व्यक्ति को छोड़कर सभी व्यक्तियों पर सूतक के नियम लागू होते हैं और उन्हें इस दौरान कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए. 
  • सूतक लगने से पहले देवालय के पट बंद कर दिये जाते हैं और इस दौरान उनकी मूर्ति का स्पर्श और विधि-विधान से पूजन आदि कार्य नहीं होता है. 

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  • ग्रहण के दौरान जप, हवन आदि की मनाही नहीं है लेकिन मूर्ति स्पर्श करना पूरी तरह से मना है. हिंदू मान्यता के अनुसार यदि आप आम दिनों में 100 माला जप करते हैं तो ग्रहण के समय एक माला करने पर आपको उसका फल प्राप्त हो जाएगा. 
  • सूर्य ग्रहण के दौरान बाल, नाखून आदि नहीं कटवाना चाहिए और न ही दौरान शयन और मैथून आदि करना चाहिए. 
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कब, किसको और क्या करें दान 

हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य ग्रहण का दान इसके समाप्त होने पर करना चाहिए. ग्रहण का दान हमेशा जरूरतमंद व्यक्ति को करना चाहिए. दान में अभिमान न करें बल्कि आदरपूर्वक उसे व्यक्ति को दें. दान में कभी भी पहने हुए कपड़े या गंदे हुए कपड़े को नहीं देना चाहिए. दान को हमेशा श्रद्धापूर्वक ही करना चाहिए. दानकर्ता का कभी तिरस्कार न करें. यदि वह आपका दान स्वीकार कर रहा है तो निश्चित तौर पर आप पर वह कृपा कर रहा है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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