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This Article is From Aug 31, 2022

Skanda Sashti 2022 Date: इस दिन रखा जाएगा स्कंद षष्ठी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Skanda Sashti September 2022: स्कंद षष्ठी व्रत में भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है. सितंबर मास की स्कंद षष्ठी का व्रत 1 सितंबर को रखा जाएगा.

Skanda Sashti 2022 Date: इस दिन रखा जाएगा स्कंद षष्ठी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Skanda Sashti 2022 Date: स्कंद षष्ठी का व्रत संतान के लिए खास होता है.

Skanda Sashti September 2022: स्कंद षष्ठी का व्रत भगवान कार्तिकेय को समर्पित है. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti 2022 Date) का व्रत रखा जाएगा. इस बार यह तिथि 01 सितंबर 2022 को पड़ रही है. स्कंद षष्ठी को कांडा षष्ठी (Kanda Skanda Sashti) के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन विधि विधान से भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. आइए जानते हैं कि सितंबर माह में स्कंद षष्ठी कब है और शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि क्या है.

स्कंद षष्ठी सितंबर 2022 शुभ मुहूर्त | Skanda Sashti September 2022 Shubh Muhurat

  • स्कंद षष्ठी तिथि- सितंबर 1, 2022, बृहस्पतिवार
  • भाद्रपद, शुक्ल षष्ठी प्रारंभ- 02:49 पी एम, सितंबर 01
  • भाद्रपद, शुक्ल षष्ठी समाप्त - 01:51 पी एम, सितंबर 02
  • स्कंद षष्ठी का व्रत 1 सितंबर को रखा जाएगा.

स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व | Skanda Sashti Vrat Significance

भगवान मुरुगन ने सोरपद्म और उसके भाइयों तारकासुर और सिंहमुख को षष्ठी के दिन वध किया था. स्कन्द षष्ठी का यह दिन जीत का प्रतीक है. मान्यता है कि भगवान मुरुगन ने वेल या लांस नामक अपने हथियार का उपयोग करके सोरपद्मन का सिर काट दिया था. कटे हुए सिर से दो पक्षी निकले- एक मोर जो कार्तिकेय का वाहन बन गया और एक मुर्गा जो उनके झंडे पर प्रतीक बन गया. स्कंद षष्ठी का व्रत रखने से निःसंतान को संतान की प्राप्ति होती है. 

स्कंद षष्ठी 2022 पूजा विधि | Skanda Sashti Puja Vidhi

स्कंद षष्ठी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. 

एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें.

इनके साथ ही शंकर-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित करें.  

कार्तिकेय जी के सामने कलश स्थापित करें.

सबसे पहले गणेश जी की वंदना करें. 

अगर संभव हो तो अखंड ज्योत जलाएं. साथ ही सुबह-शाम दीपक जरूर जलाएं. 

भगवान कार्तिकेय पर जल अर्पित करें और नए वस्त्र चढ़ाएं.

पुष्प या फूलों की माला अर्पित कर फल, मिष्ठान का भोग लगाएं.

पूजन के अंत में आरती करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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