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नवरात्रि में जौ के साथ घर पर बोएं ये चीजें, होगी सुख समृद्धि में वृद्धि

नवरात्रि में ज्वार या जौ बोने की परंपरा है, इसे खेत्री कहा जाता है. जौ के साथ कुछ अन्य चीजें बोने से भी माता प्रसन्न होती हैं

नवरात्रि में जौ के साथ घर पर बोएं ये चीजें,  होगी सुख समृद्धि में वृद्धि
नवरात्र के पहले दिन अगर आप किसी कारण से जौ नहीं बो पाते हैं तो इस दिन दूर्वा भी बोया जा सकता है.

Plants sow with jowar in Navratri :  मां आदिशक्ति (Goddess Durga) की अराधना में शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) का बहुत महत्व है. शारदीय नवरात्रि में आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नौ दिन तक माता के नौ रूपों की पूजा अराधना की जाती है. इस वर्ष 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुकी है. नवरात्रि के पहले दिन भक्त आने घरों में कलश स्थापना के साथ माता की अराधना शुरू करते हैं. इसी दिन घर में जौ या ज्वार बोए जाते हैं, जिसे खेत्री कहा जाता है. मान्यता है कि इसके बिना नवरात्रि की पूजा पूर्ण नहीं होती है. धार्मिक विद्वानों के अनुसार जौ के साथ कुछ अन्य चीजों (Plants sow with jowar in Navratri) को बोने से माता प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा से सुख समृद्धि बढ़ती है. आइए जानते हैं जौ के साथ और क्या बोना शुभ होता है….

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जौ बोने की परंपरा

नवरात्रि के प्रथम दिन जौ बोना अत्यंत शुभ माना जाता है. नौ दिन में इनके बढ़ने और इनके रंग से कई संकेत प्राप्त होते हैं. यह घर पर माता अन्नपूर्णा की कृपा का प्रतीक माना जाता है. पूजा पाठ में जौ का उपयोग किया जाता है और इसे पवित्र अन्न माना गया है.

बो सकते हैं दूर्वा

नवरात्र के पहले दिन अगर आप किसी कारण से जौ नहीं बो पाते हैं तो इस दिन दूर्वा भी बोया जा सकता है. इस दिन दुर्वा बोने से देवी भगवती के साथ-साथ गणपति की भी कृपा प्राप्त होती है.

तुलसी का पौधा

नवरात्रि के पहले दिन दूर्वा के साथ तुलसी का पौधा लगाना भी बहुत शुभ माना गया है. नवरात्र के बाद तुलसी के पौधे को घर में रखना चाहिए और हर दिन विधि-विधान से उसकी पूजा करनी चाहिए.

कैसे बोए जौ

जौ बोने के लिए साफ करके मिट्टी का पात्र लें और उसे गंगाजल से पवित्र कर लें. पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाएं और उस पर जौ के दानों को डालकर उपर से मिट्टी डाल दें. स्वास्तिक बनाकर पात्र उस पर रखें. पात्र के चारों तरफ मौली बांध दें. खेत्री को देवी के सामने रख दें.

जौ पूजन नियम

नवरात्रि के हर दिन पूजा के बाद खेत्री को आरती दिखाएं और जल डालें. जौ यानी खेत्री माता को प्रणाम कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें. आखिरी दिन खेत्री मां से भूल-चूक के लिए माफी मांग लें. जौ में से कुछ को माता को अर्पित करें, कुछ को परिजनों को दें, कुछ तिजोरी में रख लें और बाकी को विसर्जित कर दें.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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