शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा 2017: चांद की किरणें खीर पर पड़ती हैं तो वह अमृतमयी औषधि के रूप में काम करती है.
शरद पूर्णिमा को चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है और माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा से कुछ विशेष दिव्य गुण प्रवाहित होते हैं. इसलिए इसे कोजागरी पूर्णिमा और रस पूर्णिमा भी कहा जाता है. शरद पूर्णिमा अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस साल शरद पूर्णिमा 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस रात चन्द्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करता है. इसलिए इस रात को खीर बनाकर खुले आसमान के तले रखा जाता है.
उन्होंने बताया कि चांद की रौशनी को औषधि रूप देने के लिए पूर्णिमा के दिन घरों की छतों पर खीर बनाकर रखते हैं. जब चांद की किरणें खीर पर पड़ती हैं तो वह अमृतमयी औषधि के रूप में काम करती है.
यह भी पढ़ें: करवा चौथ 2017: जानिए क्या है पूजा का मुहूर्त, कितने बजे उदय होगा चंद्रमा
अगले दिन स्नान करके भगवान को खीर का भोग लगाएं. फिर तीन ब्राह्मणों या कन्याओं को प्रसाद रूप में इस खीर को दें और अपने परिवार में खीर का प्रसाद बांटे. इस खीर को खाने से अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है.
आस्था से जुड़ी अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें.
Sharad Purnima 2017: शरद पूर्णिमा के दिन विशेष रस
कई वैद्य शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा के दिन जीवन रक्षक विशेष औषधियों के निर्माण करते हैं. हिंदू परंपरा में रस पूर्णिमा का विशेष स्थान है. गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या बताते हैं कि दशहरा से लेकर पूर्णिमा तक चंद्रमा से एक विशेष प्रकार का रस झरता है, जो अनेक रोगों में संजीवनी की तरह काम करता है.उन्होंने बताया कि चांद की रौशनी को औषधि रूप देने के लिए पूर्णिमा के दिन घरों की छतों पर खीर बनाकर रखते हैं. जब चांद की किरणें खीर पर पड़ती हैं तो वह अमृतमयी औषधि के रूप में काम करती है.
Sharad Purnima 2017: शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान के तले रखा जाता है.
यह भी पढ़ें: करवा चौथ 2017: जानिए क्या है पूजा का मुहूर्त, कितने बजे उदय होगा चंद्रमा
Sharad Purnima 2017: पंचतत्वों के माध्यम से रहें स्वस्थ
प्रणव पण्ड्या बताते हैं कि रोगों की उत्पत्ति की जड़ हमारी गलत लाइफस्टाइल है. आहार-विहार से लेकर मानसिक तनाव और दैवीय प्रतिकूलताओं से लेकर वैक्टीरिया, वायरस के कारण हमारी जीवन शक्ति क्षीण हो रही है. इससे उबरने के लिए जड़ी-बूटियों द्वारा स्वास्थ्य संरक्षण कल्प के विभिन्न सुगम प्रयोग भी दिए हैं जो आज भी परीक्षित करने पर कसौटी पर खरे उतरे हैं. शरद पूर्णिमा के दिन इसे परखा भी जाता है. जीवन शैली ठीक रहने पर हमें कभी रोग-शोक सता नहीं सकते हैं. हम पंचतत्वों आकाश, वायु, जल, मिट्टी, अग्नि के माध्यम से स्वस्थ रह सकते हैं.Sharad Purnima 2017: कैसे लगाएं खीर का भोग
शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान के तले रखा जाता है. मान्यता है कि चांद की किरणें खीर पर पड़ती हैं तो वह अमृतमयी औषधि के रूप में काम करती है. इस दिन विधि-विधान से लक्ष्मीनारायण पूजा करें और खीर बनाकर रात में खुले आसमान के नीचे ऐसे रखें ताकि चन्द्रमा की रोशनी खीर पर पड़े.अगले दिन स्नान करके भगवान को खीर का भोग लगाएं. फिर तीन ब्राह्मणों या कन्याओं को प्रसाद रूप में इस खीर को दें और अपने परिवार में खीर का प्रसाद बांटे. इस खीर को खाने से अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है.
आस्था से जुड़ी अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं