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This Article is From May 30, 2022

Shani Jayanti 2022: शनि जयंती पर 30 साल बाद बन रहा है ये खास संयोग, जानें पूजा-विधि मंत्र और शनि चालीसा

Shani Jayanti 2022: शनि जयंती ज्येष्ठ मास की अमावस्या को पड़ती है. 30 साल बाद शनि जयंती पर खास संयोग बन रहा है. ऐसे में शनि जयंती की पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं.

Shani Jayanti 2022: शनि जयंती पर 30 साल बाद बन रहा है ये खास संयोग, जानें पूजा-विधि मंत्र और शनि चालीसा
Shani Jayanti 2022: इस साल शनि जयंती 30 मई, सोमवार को पड़ रही है.

Shani Jayanti 2022: ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती (Shani Jayanti) पड़ती है. मान्यता है कि इस दिन शनि देव (Shani Dev) का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन शनि जयंती मनाई जाता है. भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और विधि-विधान से शनि देव की पूजा (Shani Dev Puja) करते हैं. दरअसल शनि देव की कृपा पाने के लिए शनि जंयती का दिन बेहद खास माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक शनि देव की पूजा करने से शनि दोष (Shani Dosh) से छुटकारा मिलता है. इस साल शनि जयंती 30 मई, सोमवार को यानि आज है. आइए जानते हैं शनि जयंती का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में. 


शनि जयंती पर 30 साल बाद बन रहा है खास संयोग


इस बार की शनि जंयती बेहद खास मानी जा रही है. पंचांग के मुताबिक इस बार शनि जयंती के दिन सोमवती अमावस्या का खास संयोग बन रहा है. इसके अलावा इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखा जाएगा. ऐसा संयोग तकरीबन 30 वर्षों बाद बन रहा है. जब शनि देव कुंभ राशि में रहेंगे. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. 


शनि जयंती शुभ मुहूर्त | Shani Jayanti 2022 Shubh Muhurat

शनि जयंती 30 मई, 2022 सोमवार को मनाई जाएगी. पंचांग के मुताबिक अमावस्या तिथि की शुरुआत 29 मई को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से हो रही है. वहीं अमावस्या तिथि की समाप्ति 30 मई को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर होगी. 

शनि जयंती पूजा विधि | Shani Jayani 2022 Puja Vidhi

-शनि जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत होने के पश्चात स्नान किया जाता है. 

-शनि देव का स्मरण करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लिया जाता है.

-पूजा स्थल पर काले रंग के वस्त्र बिछाकर उस पर शनि देव की तस्वीर या प्रतीक के रूप में सुपारी रखा जाता है. 

-शनि देव को नीले फूल, कुमकुम, सिंदूर इत्यादि अर्पित किया जाता है. साथ ही फल अर्पित किए जाते हैं. 

-शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाया जाता है. शन देव के समक्ष दीपक जलाया जाता है. इसके बाद शनि देव का ध्यान करते हुए शनि मंत्र और शनि चालीसा का पाठ किया जाता है. 

-जो भक्त घर में शनि देव की पूजा नहीं कर सकते वे शनि मंदिर में जाकर शनि देव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं. 

-मान्यता है कि शनि जयंती के दिन काला तिल, छाता, काला या नीला वस्त्र, लोहा, स्टील के बर्तन, जूता, चप्पल आदि का दान करने से भगवान शनि की कृपा प्राप्त होती है.

शनि मंत्र | Shani Mantra

  • ओम् शं अभयहस्ताय नमः
  • ओम् शं शनैश्चराय नमः" 
  • ओम् नीलांजनसमाभामसं रविपुत्रं यमाग्रजं छायामार्त्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्

शनि चालीसा | Shani Chalisa

जयति-जयति शनिदेव दयाला
करत सदा भक्तन प्रतिपाला

चारि भुजा तन श्याम विराजै
माथे रतन मुकुट छवि छाजै

परम विशाल मनोहर भाला
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला

कुण्डल श्रवण चमाचम चमकै
हिये माल मुक्तन मणि दमकै

कर में गदा त्रिशूल कुठारा
पल विच करैं अरिहिं संहारा

पिंगल कृष्णो छाया नन्दन
यम कोणस्थ रौद्र दुःख भंजन

सौरि मन्द शनी दश नामा
भानु पुत्रा पूजहिं सब कामा

जापर प्रभु प्रसन्न हों जाहीं
रंकहु राउ करें क्षण माहीं

पर्वतहूं तृण होई निहारत
तृणहंू को पर्वत करि डारत

राज मिलत बन रामहि दीन्हा
कैकइहूं की मति हरि लीन्हा

बनहूं में मृग कपट दिखाई
मात जानकी गई चुराई

लषणहि शक्ति बिकल करि डारा
मचि गयो दल में हाहाकारा

दियो कीट करि कंचन लंका
बजि बजरंग वीर की डंका

नृप विक्रम पर जब पगु धारा
चित्रा मयूर निगलि गै हारा

हार नौलखा लाग्यो चोरी
हाथ पैर डरवायो तोरी

भारी दशा निकृष्ट दिखाओ
तेलिहुं घर कोल्हू चलवायौ

विनय राग दीपक महं कीन्हो
तब प्रसन्न प्रभु ह्नै सुख दीन्हों

हरिशचन्द्रहुं नृप नारि बिकानी
आपहुं भरे डोम घर पानी

वैसे नल पर दशा सिरानी
भूंजी मीन कूद गई पानी

श्री शकंरहि गहो जब जाई
पारवती को सती कराई

तनि बिलोकत ही करि रीसा
नभ उड़ि गयो गौरि सुत सीसा

पाण्डव पर ह्नै दशा तुम्हारी
बची द्रोपदी होति उघारी

कौरव की भी गति मति मारी
युद्ध महाभारत करि डारी

रवि कहं मुख महं धरि तत्काला
लेकर कूदि पर्यो पाताला

शेष देव लखि विनती लाई
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई

वाहन प्रभु के सात सुजाना
गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना

जम्बुक सिंह आदि नख धारी
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं
हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं

गर्दभहानि करै बहु काजा
सिंह सिद्धकर राज समाजा

जम्बुक बुद्धि नष्ट करि डारै
मृग दे कष्ट प्राण संहारै

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी
चोरी आदि होय डर भारी

तैसहिं चारि चरण यह नामा
स्वर्ण लोह चांदी अरु ताम्बा

लोह चरण पर जब प्रभु आवैं
धन सम्पत्ति नष्ट करावैं

समता ताम्र रजत शुभकारी
स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी

जो यह शनि चरित्रा नित गावै
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला
करैं शत्राु के नशि बल ढीला

जो पंडित सुयोग्य बुलवाई
विधिवत शनि ग्रह शान्ति कराई

पीपल जल शनि-दिवस चढ़ावत
दीप दान दै बहु सुख पावत

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा

दोहा

पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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